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बाढ़ की तबाही देख भड़के किम जोंग उन, 30 अधिकारियों को एक साथ फांसी पर लटकाया

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उत्तर कोरिया में गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती. अधिकारी हों या आम नागरिक, तानाशाह के राज में गलती या लापरवाही की सजा मौत होती है. जी हां, ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि उत्तर कोरिया में 30 अधिकारियों को एक साथ फांसी की सजा दी गई है. उनकी गलती यह थी कि वे सभी बाढ़ की तबाही रोक पाने में विफल रहे थे. हालांकि, उन पर करप्शन के भी चार्ज थे. बाढ़ की तबाही देखर किम जोंग उन इस कदर भड़क उठे कि उन्होंने 30 अधिकारियों को एक साथ एक ही जगह फांसी पर लटका दिया.

न्यूयॉर्क पोस्ट रिपोर्ट की मानें तो तानाशाह किम जोंग ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया था. बाढ़ की विभीषिका देखकर वह क्रोधित हो चुके थे. बाढ़ में 4000 लोगों की मौत से वह इस कदर आहत हुए कि उन्होंने आव न देखा ताव, तुरंत उत्तर कोरिया में बाढ़ में लापरवाही बरतने के आरोप में 30 अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया. इस बाढ़ में 4,000 लोग मारे गए थे. यह जानकारी दक्षिण कोरियाई मीडिया ने दी है.

क्या थे आरोप और कहां दी गई फांसी
टीवी चोसुन की रिपोर्ट के मुताबिक, तानाशाह किम जोंग उन सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर कोरिया में 20 से 30 नेताओं पर भ्रष्टाचार और ड्यूटी में लापरवाही बरतने का आरोप लगा था. इसके बाद उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. अधिकारी की मानें तो यह पता चला है कि पिछले महीने के आखिर में बाढ़ प्रभावित इलाके में 20 से 30 अफसरों को एक साथ एक ही जगह मौत के घाट उतार दिया गया. हालांकि, अब तक फांसी की सजा वाली रिपोर्ट की पुष्टि नॉर्थ कोरिया की ओर से नहीं की गई है.

जुलाई में मिला था आदेश
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्थ कोरिया की सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने पहले खबर दी थी कि जुलाई में चागांग प्रांत में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद किम जोंग उन ने अधिकारियों को सख्त सजा देने का आदेश दिया था. इस बाढ़ में लगभग 4,000 लोगों की जान चली गई थी और 15,000 से अधिक लोग बेघर हो गए थे. नॉर्थ कोरिया में किन अधिकारियों को फांसी दी गई, अब तक उनकी पहचान तो नहीं बताई गई है. लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि बाढ़ आपदा के दौरान एक इमरजेंसी मीटिंग में किम जोंग उन ने जिन नेताओं को बर्खास्त किया था, उनमें 2019 से चागांग प्रांत की प्रांतीय पार्टी समिति के सचिव कांग बोंग-हून भी शामिल थे.

नॉर्थ कोरिया में फांसी आम बात
बता दें कि उत्तर कोरिया में किसी अपराध के लिए आमतौर पर लोगों को सार्वजनिक रूप से फांसी देने की दर बहुत अधिक है. कोरोना महामारी से पहले नॉर्थ कोरिया में हर साल औसतन 10 लोगों को सार्वजनिक रूप से फांसी दी जाती थी. रिपोर्ट की मानें तो कोरोना काल के बाद से यह दर और भी बढ़ गई है. पिछले साल कम से कम 100 लोगों को फांसी दी गई.