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मोदी के संकटमोचक अजीत डोभाल ही नहीं… रूस-यूक्रेन जंग खत्म कराने पहुंच रहा एक और शख्स, जिनपिंग का है खास

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नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन जंग अब अपने निर्णायक मोड़ पर है. करीब दो साल से अधिक समय से चली आ रही यह जंग अब बातचीत के जरिए खत्म होने की कगार पर. दुनिया को शांति का पाठ पढ़ाने वाला भारत अब यूक्रेन जंग सुलझाने को तैयार है. खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पब्लिकली कहा है कि रूस-यूक्रेन जंग सुलझाने में भारत और चीन अहम भूमिका निभा सकते हैं. पुतिन के बाद इटली की पीएम का भी मानना है कि शांति वार्ता को लेकर भारत और चीन ही मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं. यही वजह है कि अब भारत भी अपना शांतिदूत वाला रोल निभाने को तैयार है.

पीएम मोदी के संकटमोचक और भारत के जेम्स बॉन्ड कहे जाने वाले अजीत डोभाल यूक्रेन जंग को खत्म कराने का जिम्मा संभालने जा रहे हैं. एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल रूस जा रहे हैं, जहां वह शांति वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभाएंगे. मगर अजित डोभाल अकेले नहीं होंगे. उनके पीछे-पीछे वह शख्स भी जा रहा है, जो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का काफी खास है. नाम है- वांग यी.

डोभाल के संग और कौन होगा?
जी हां, एनएसए अजीत डोभाल 10-11 सितंबर को मॉस्को की यात्रा करेंगे. इस दौरान उनका फोकस यूक्रेन जंग में शांति समझौते कराने पर रहेगी. अजीत डोभाल मॉस्को में होने वाले ब्रिक्स एनएसए के सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं. भारत से जहां मध्यस्थ के रूप में अजीत डोभाल रहेंगे, वहीं चीन की ओर से वांग यी. चीन के एनएसए वांग यी भी उस सम्मेलन में मौजूद रहेंगे, जिसमें यूक्रेन जंग सबसे अहम मुद्दा होगा. यहां खास बात है कि अजित डोभाल और वांग यी ही भारत-चीन सीमा समाधान पर बातचीत के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं. यह बैठक रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग समाप्त करने के लिए दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को लेकर नये सिरे से जारी प्रयासों के बीच हो रही है.

पीएम मोदी ने दिया शांति का संदेश
दरअसल, अजीत डोभाल से पहले पीएम मोदी रूस और यूक्रेन की यात्रा कर चुके हैं. यूक्रेन जंग को बातचीत के जरिए सुलझाने की बात तब आई है, जब पीएम मोदी ने 40 दिनों के भीतर रूस और यूक्रेन का दौरान किया. दोनों देशों को पीएम मोदी ने शांति का संदेश दिया है. पीएम मोदी ने जुलाई में रूस की यात्रा की थी और अगस्त में यूक्रेन की. राष्ट्रपति पुतिन के साथ क्या-क्या बात हुई, पीएम मोदी ने जेलेंस्की को बता दिया है.

पीएम मोदी ने की थी यूक्रेन की यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी ने अगस्त में कीव में 7 घंटे तक रुके थे और अपनी यात्रा के दौरान जेलेंस्की से मुलाकात की थी. इससे पहले जब पीएम मोदी 9 जुलाई को पुतिन मॉस्को में मिले थे, तभी उन्होंने स्पष्ट कह दिया था कि युद्ध के मैदानों में शांति नहीं मिल सकती है. जंग खत्म करने का एक मात्र जरिया बातचीत है. प्रधानमंत्री मोदी की मॉस्को और कीव यात्राओं के बाद यूक्रेन संघर्ष का समाधान खोजने में भारत की संभावित भूमिका की मांग के मद्देनजर एनएसए अजीत डोभाल रूस जा रहे हैं.

रूस में क्या करेंगे डोभाल?
सूत्रों की मानें तो अजीत डोभाल अपने रूसी समकक्ष के साथ बातचीत भी करेंगे और क्षेत्र में शांति लाने के तरीकों पर विमर्श करेंगे. उनकी इस यात्रा के दौरान यूक्रेन जंग पर बातचीत करने के लिए चीनी एनएसए वांग यी भी मौजूद रहेंगे. दरअसल, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ अपनी वार्ता के बाद कहा था कि भारत और चीन इस संघर्ष का समाधान खोजने में भूमिका निभा सकते हैं. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी कहा था कि भारत, ब्राजील और चीन मध्यस्थों के रूप में रूस-यूक्रेन संघर्ष के समाधान में अपनी भूमिका निभा सकते हैं.