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क्वाड में रहने से भारत को हो रहा क्या फायदा, चीन को कैसे लगा झटका

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कोई डेढ़ दशक पहले अमेरिका ने जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ मिलकर समुद्री सुरक्षा भागीदारी के लिए एक मंच बनाया, इसमें संयुक्त नौसैनिक अभ्यास शामिल है. पहले तो ये मंच निष्क्रिय रहा है लेकिन अब वर्ष 2017 से ये फिर सक्रिय हो गया है. इसका शिखर सम्मेलन अमेरिकी डेलावेयर में होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 21 से 23 सितंबर तक अमेरिका जाएंगे तो इस शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे. क्वाड का बनना चीन को काफी नागवार गुजरा. वो इस मंच के बनाए जाने पर खफा भी हुआ. उसे अच्छी तरह अंदाज है कि ये मंच उस पर दबाव बढ़ाने के लिए बनाया गया. अब ये देखना चाहिए कि भारत को इस मंच में शामिल होने के बाद कैसे लाभ हुए हैं या होने की संभावना है.

क्वाड (चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता) में भारत की भागीदारी उसे कई तरह के रणनीतिक फायदे देती है. विशेष तौर पर चीन के प्रभाव का मुकाबला करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ाने को लेकर.

भारत को क्या फायदा हुआ
क्वाड से भारत को कई तरह के फायदे हुए. हिंद महासागर में समुद्री ताकत बढ़ी. चीन पर आर्थिक निर्भरता कम करने की स्थितियां मजबूत हुईं.क्वाड सप्लाई चैन से खुद को जोड़कर भारत अपनी उत्पादन क्षमता मजबूत कर सकता है. खुद को उत्पादन के दमदार वैकल्पिक केंद्र के रूप में स्थापित कर सकता है. खासकर तब जबकि विश्व में चीन को लेकर एक अलग सा माहौल बन रहा हो. ये मंच भारत का आर्थिक लचीलापन बढ़ाने और अपने उद्योगों का समर्थन करने के लिए भी अहम है.

भारत की समुद्री सुरक्षा स्थिति बेहतर हुई
क्वाड में भारत की भागीदारी चीन की मुखर नीतियों के खिलाफ समुद्री सुरक्षा स्थिति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. क्वाड भारत को हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा सहित सुरक्षा मामलों में  अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ सहयोग करने का मंच देता है, बेशक इस नाटो जैसा मंच नहीं कहना चाहिए लेकिन ये कुछ हद तक उसी तरह है. ये भारत के ग्लोबल बिजनेस के लिए महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है. ये चीनी सैन्य आक्रमण को रोकने के अलावा इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रमकता को रोकने में मदद करता है.

क्षेत्रीय ताकत को बढ़ाता है
क्वाड में भारत की उपस्थिति क्षेत्रीय भू-राजनीति में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में इसकी स्थिति को मजबूत करती है. ये भारत को दक्षिण पूर्व एशियाई देशों और अन्य क्षेत्रीय भागीदारों के साथ अधिक असरदार तरीके से जोड़ने की स्थितियां बनाता है. जिससे चीन की विस्तारवादी नीतियों को काउंटर किया जाता है.

क्या चीन पर आर्थिक निर्भरता कम होगी
चीन पर अपनी आर्थिक निर्भरता को कम करने के लिए क्वाड (चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता) में भारत के लिए खासा अहम है. ये क्वाड भागीदारों से निवेश आकर्षित करने की अनुमति देता है, उनसे व्यापार करने के मौके भी. क्योंकि इसमें शामिल सभी देश इस बात पर एकमत हैं कि चीन के साथ व्यापार और निर्भरता को कम किया जाए. ऐसे में भारत उनके लिए एक मुफीद देश के तौर पर उभरता है.

क्वाड में शामिल अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया – सामूहिक तौर पर आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं. इसमें बुनियादी ढांचा और तकनीक में निवेश शामिल है, जो भारत को चीन आयात से स्वतंत्र अधिक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने में मददगार होगा. इससे भारतीय उद्योगों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) बढ़ेगा, रोजगार के अवसर पैदा होंगे, आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.

चीन के आर्थिक विस्तार का मुकाबला
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) जैसी पहलों के माध्यम से चीन ने पिछले कुछ सालों में आक्रामक तरीक से विस्तार किया है. इससे भारतीय हितों पर दबाव बढ़ा है. क्वाड भारत को वैकल्पिक कनेक्टिविटी परियोजनाओं और क्षेत्रीय विकास प्रयासों में बढ़ावा देता है. इससे चीन पर भारत की निर्भरता को कम होगी.

क्वाड महत्वपूर्ण टैक्नॉलॉजी और कच्चे माल तक पहुंच को सुरक्षित करने के लिए काम कर रहा है, जिससे चीन पर निर्भरता कम हो रही है. ये भारत को ग्लोबल सप्लाई चैन के साथ जोड़कर सेमीकंडक्टर, 5G, AI और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में भी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद देता है.

हिंद महासागर में मजबूत हो रहा भारत
क्वाड भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास और संचालन में शामिल होने के लिए एक मंच देता है. इससे भारतीय नौसेना की कुशलता और क्षमता दोनों बढ़ती है. नौसेनाओं का आपसी तालमेल करके समुद्री ताकत बढ़ाता है. इससे भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री चुनौतियों का जवाब देने में अब ज्यादा सक्षम है.

क्वाड इंडो-पैसिफिक पार्टनरशिप फॉर मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (IPMDA) जैसी पहल से हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में अवैध समुद्री गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए काम कर रहा है. इसका उद्देश्य अवैध मछली पकड़ने, जलवायु घटनाओं और मानवीय संकटों जैसी समुद्री गतिविधियों में  वास्तविक समय में जानकारी को साझा करना है. इससे भी भारत को फायदा मिलता है.