Home नॉलेज कौन हैं फिजिक्स में नोबेल जीतने वाले साइंटिस्ट, जिन्होंने गूगल से दिया...

कौन हैं फिजिक्स में नोबेल जीतने वाले साइंटिस्ट, जिन्होंने गूगल से दिया था इस्तीफा, फिर बताए AI के खतरे

2

नोबेल कमेटी ने साल 2024 के लिए भौतिकी यानी फिजिक्स के लिए  नोबेल पुरस्कार का ऐलान कर दिया है. यह पुरस्कार जॉन हॉपफील्ड और जेफ्री हिंटन को उनकी “आधारभूत खोजों” के लिए दिया गया है. ये खोजें जो आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क के साथ मशीन लर्निंग को काबिल बनाती हैं. नोबेल समिति ने अपने बयान में कहा, “हालांकि कंप्यूटर सोच नहीं सकते, लेकिन मशीनें अब मेमोरी और लर्निंग जैसे कार्यों की नकल कर सकती हैं. भौतिकी में इस साल के पुरस्कार विजेताओं ने इसे संभव बनाने में मदद की है.” इनमें से जेफ्री हिंटन को एआई का गॉडफादर कहा जाता है. आइए जानते हैं इस साइंटिस्ट के बारे में, जिन्होंने दुनिया को एआई के खतरे बताने के लिए गूगल से इस्तीफा दे दिया था.

कौन हैं हिंटन?
जेफ्री एवरेस्ट हिंटन एक ब्रिटिश-कनाडाई कंप्यूटर वैज्ञानिक और कॉग्नेनेटिव साइकोलॉजिस्ट हैं, जो आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क पर अपने काम के लिए सबसे ज़्यादा जाने जाते हैं. इसी के कारण उन्हें “AI के गॉडफ़ादर” की उपाधि मिली है. उन्हें नोबेल पुरस्कार एक ऐसी विधि के आविष्कार के लिए मिला जो डेटा में गुणों को अपने आप ही (ऑटोमैटिक रूप से) खोज सकती है, जिससे चित्रों में खास तत्वों की पहचान की जा सकती है.

एआई में PHD
हिंटन की शिक्षा ब्रिस्टल के क्लिफ्टन कॉलेज और किंग्स कॉलेज, कैम्ब्रिज, इंग्लैंड में हुई. प्राकृतिक विज्ञान, कला का इतिहास और दर्शन जैसे विभिन्न विषयों के बीच अपनी डिग्री को बार-बार बदलने के बाद, उन्होंने 1970 में प्रायोगिक मनोविज्ञान में आर्ट्स ग्रेजुएट की उपाधि हासिल की. उन्हें एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से 1978 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में पीएचडी से सम्मानित किया गया.

ब्रिटेन से अमेरिका
अपनी पीएचडी के बाद, हिंटन ने ससेक्स विश्वविद्यालय में काम किया और ब्रिटेन में फंडिंग पाने में कठिनाई के बाद, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो और कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय में काम किया. वे यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में गैट्सबी चैरिटेबल फाउंडेशन कम्प्यूटेशनल न्यूरोसाइंस यूनिट के संस्थापक निदेशक थे.

गूगल में काम और वहां से इस्तीफे का ऐलान
हिंटन ने 2013 से 2023 तक, अपना समय गूगल और टोरंटो विश्वविद्यालय के लिए काम करते हुए बिताया. मई 2023 में उन्होंने गूगल से अपने इस्तीफे का सार्वजनिक तौर पर ऐलान किया. इस्तीफा देते समय  उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक के जोखिमों के बारे में चिंता जताई. उन्होंने टोरंटो में वेक्टर इंस्टीट्यूट की सह-स्थापना की और उसके मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार बन गए. वे वर्तमान मेंटोरंटो विश्वविद्यालय में कंप्यूटर विज्ञान विभाग में प्रोफेसर हैं.

जीत चुके हैं कम्पूटिंग का नोबेल पुरस्कार
हिंटन को डीप लर्निंग पर उनके काम के लिए योशुआ बेंगियो और यान लेकन के साथ मिलकर 2018 ट्यूरिंग अवार्ड मिला, जिसे अक्सर “कंप्यूटिंग का नोबेल पुरस्कार” कहा जाता है. उन्हें कभी-कभी “डीप लर्निंग के गॉडफादर”  भी कहा जाता है.  नोबेल पुरस्कार पाने के बाद हिंटन ने कहा कि वे पुरस्कार पाकर “हैरान” हैं.

एआई का समाज पर असर
जब पत्रकारों ने उनके शोध से विकसित की गई तकनीक के संभावित महत्व के बारे में पूछा, उन्होंने कहा कि एआई का हमारे समाजों पर “बहुत बड़ा प्रभाव” होगा. उन्होंने घोषणा के बाद एक फ़ोन साक्षात्कार में कहा.”यह औद्योगिक क्रांति के बराबर होगा. लेकिन शारीरिक शक्ति में लोगों से आगे निकलने के बजाय, यह बौद्धिक क्षमता में लोगों से आगे निकलने वाला है. हमें इस बात का कोई अनुभव नहीं है कि हमसे ज़्यादा स्मार्ट चीजें होना कैसा होता है,”

भविष्यवाणी और चेतावनी
हिंटन ने भविष्यवाणी की कि यह तकनीक स्वास्थ्य सेवा जैसी चीज़ों में क्रांति लाएगी, जिससे “उत्पादकता में बहुत बड़ा सुधार होगा.” उन्होंने चेतावनी दी,”लेकिन हमें विशेष रूप से इन चीज़ों के नियंत्रण से बाहर हो जाने के ख़तरे के बारे में, कई संभावित बुरे परिणामों के बारे में भी चिंता करनी होगी. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि AI “प्रोग्राम करना जानता है, इसलिए यह हमारे द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से बचने के तरीके खोज लेगा. यह लोगों को अपने हिसाब से काम करने के लिए प्रेरित करने के तरीके खोज लेगा “

एआई के अग्रणी होने के साथ-साथ, हिंटन ने तकनीक के बारे में सावधानी बरतने का भी आग्रह किया है. मई 2023 में, उन्होंने इस बात की चिंता करने के बाद कि यह कितना स्मार्ट होता जा रहा है, Google में अपनी भूमिका छोड़ दी.  और “व्हिसिल ब्लोअर के रूप में मशहूर हो गए थे.”