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ट्रेन में चैन से सो रहा था यात्री, रात को हुआ कुछ ऐसा कि लगा बड़ा झटका, अब कोर्ट ने दिलवाए 4.7 लाख रुपए

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राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने एक अहम फैसले में रेलवे को 4.7 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. यह आदेश एक यात्री द्वारा अपने बैग की चोरी की शिकायत के बाद दिया गया है. यात्री ने ट्रेन में यात्रा के दौरान अपने सामान की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी सावधानियां बरती थीं, लेकिन ट्रेन के टिकट निरीक्षक (TTE) की लापरवाही के चलते “बाहरी लोगों” का आरक्षित कोच में प्रवेश हो गया, जिससे चोरी की घटना हुई.

यह मामला मई 2017 का है, जब दिलीप कुमार चतुर्वेदी अपने परिवार के साथ अमरकंटक एक्‍सप्रेस से कटनी से दुर्ग जा रहे थे. इस दौरान उनके बैग से नकदी और अन्य कीमती सामान, जिनकी कुल कीमत लगभग 9.3 लाख रुपये थी, चोरी हो गए. चोरी रात करीब 2:30 बजे हुई और चतुर्वेदी ने तुरंत रेलवे पुलिस में इस घटना की एफआईआर दर्ज कराई.

NCDRC ने रेलवे की दलील को खारिज किया
रेलवे ने अपनी दलील में कहा था कि रेलवे अधिनियम की धारा 100 के तहत तब तक किसी नुकसान के लिए रेलवे जिम्मेदार नहीं है, जब तक कि रेलवे कर्मी ने सामान बुक करके उसकी रसीद न दी हो. हालांकि, NCDRC ने रेलवे की इस दलील को खारिज कर दिया. आयोग ने कहा कि रेलवे की यह जिम्मेदारी है कि वह आरक्षित कोच में यात्रा कर रहे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और इस मामले में रेलवे अधिकारियों की लापरवाही के कारण सेवा में कमी पाई गई है.

देना होगा मुआवजा और जुर्माना
आयोग ने रेलवे को यात्री को 4.7 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. इसके अलावा रेलवे पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, जिससे यात्री को हुई मानसिक पीड़ा की भरपाई की जा सके. चतुर्वेदी ने पहले इस मामले में दुर्ग जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसने रेलवे अधिकारियों को मुआवजा देने का आदेश दिया था. लेकिन रेलवे ने इस आदेश को छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी, जिसने जिला आयोग के आदेश को खारिज कर दिया. इसके बाद चतुर्वेदी ने NCDRC में पुनर्विचार याचिका दायर की, जहां अंततः उनके पक्ष में फैसला सुनाया गया.