Home देश शूटरों से 2 करोड़ में डील, 75 लाख रुपये एडवांस, एनआइए जज...

शूटरों से 2 करोड़ में डील, 75 लाख रुपये एडवांस, एनआइए जज के मर्डर का ‘फुलप्रूफ’ प्लान, गुमनाम पत्र से हड़कंप

2

रांची. बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा रांची में बंद पीएलएफआई उग्रवादियों और अमन साहू गिरोह के गुर्गों ने एनआइए कोर्ट के जज की हत्या की योजना बनाई थी. जज की हत्या के लिए बिहार के शूटरों से 2 करोड़ रुपए की सुपारी दी गई थी. डील के बाद एडवांस के तौर पर 75 लाख रुपए की पहली किश्त भी बिहार के शूटरों को दी थी. इन बातों का जिक्र एक गुमनाम पत्र में है जिसके खुलासे को लेकर पुलिस महकमे में हड़कंप है. दरअसल, एक गुमनाम पत्र रांची के खेलगांव थाने को मिला था जिनमें इन बातों का जिक्र है कि एनआइए के जज की हत्या के लिए रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद पीएलएफआई उग्रवादियों और अमन साहू से जुड़े गुर्गों ने जज की हत्या की योजना बनायी है. इसे लेकर बाकायदा रिम्स के इलाज के दौरान दो कैदियों जिनमें प्रभु प्रसाद साहू और निवेश कुमार पोद्दार ने शूटरों को 75 लख रुपए बतौर एडवांस्ड दिया था.

दरअसल, ये दोनों होटवार जेल से इलाज के लिए रिम्स गए थे उसी दरम्यान ये डील हुई थी. मामले की जानकारी गुमनाम पत्र से मिलने के बाद खेलगांव पुलिस ने मामला दर्ज किया है और मामले की जांच में जुट गई है. इस पूरे मामले में कुल 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है, जिनमें  NIA के केस में जेल बंद बंद सोनू पंडित, निवेश कुमार पोद्दार, प्रभु प्रसाद साहू, मनोज कुमार चौधरी और एटीएस केस में बंद चंदन कुमार साहू शामिल हैं. चंदन कुमार साहू गैंगस्टर अमन साहू गिरोह से जुड़ा है जबकि अन्य का ताल्लुक पीएलएफआई  और टेरर फंडिंग से जुड़ा है.

पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा है कि 18 अक्टूबर को खेलगांव पुलिस की एक गुमनाम पत्र मिला था. इसमें इस बात का जिक्र किया गया था कि जेल में बंद कैदियों के द्वारा एनआईए कोर्ट के जज की हत्या की योजना तैयार की गई है. इसके लिए प्रभु प्रसाद साहू और निवेश कुमार पोद्दार ने जेल से इलाज के बहाने रिम्स जाकर बिहार के शूटरों को 75 लाख रुपए दिए थे.

हालांकि, पुलिस ने जब इनसे पूछताछ की है तो तो सभी आरोपियों ने इन बातों को सिरे से खारिज किया है. फिलहाल मामले को लेकर झारखंड पुलिस जांच रही है, लेकिन जिस तरह से इस पूरी साजिश की जानकारी मिली है वो चिंताजनक है. ऐसा इसलिए क्योंकि न्यायिक कार्यों में लगे न्यायाधीश भी अब अपराधियों के टारगेट पर हैं.