Home देश छत्तीसगढ़ में हो रही हाथियों-भालुओं की मौत, क्या है इसकी वजह, हाईकोर्ट...

छत्तीसगढ़ में हो रही हाथियों-भालुओं की मौत, क्या है इसकी वजह, हाईकोर्ट ने अधिकारियों से मांगा एफिडेविट

7

छत्तीसगढ़ में हाथियों की मौत के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. दरअसल, रायगढ़ जिले के घरघोड़ा वन परिक्षेत्र में कुछ दिनों पहले बड़ी घटनाएं घटी थीं. यहां तीन हाथियों की मौत हो गई थी. इस मामले पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और जनहित याचिका दर्ज की. मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की बेंच ने इस घटना पर चिंता जाहिर की. उन्होंने राज्य के ऊर्जा विभाग के सचिव और छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक को इस मामले में शपथ पत्र पेश करने को कहा है. कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 20 नवंबर को करेगी.

दूसरी ओर, इसी मामले में वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट नितिन सिंघवी ने भी हस्तक्षेप याचिका दाखिल कर दी है. उन्होंने इस याचिका में जानवरों से जुड़ी कई घटनाओं को बताया है. उनकी याचिका जानवरों के लिए लगातार बढ़ते खतरे को सावधान करती है. सिंघवी ने याचिका में बताया है कि बिलासपुर वन मंडल में हाथी के एक शावक की मौत हुई थी. उसकी मौत 1 अक्टूबर को करंट से हुई थी. फिर, 9 अक्टूबर को कांकेर में एक घटना घटी. यहां बिजली का तार गिरने से तीन भालुओं की मौत हो गई. ये घटनाएं इस ओर इशारा करती हैं कि राज्य के कई इलाकों में जानवरों को खतरा है.

इस याचिका में चौंकाने वाली बात
नितिन सिंघवी ने याचिका में यह भी बताया है कि करंट की वजह से केवल जानवर ही नहीं मर रहे, बल्कि इंसानों की भी जान जा रही है. उन्होंने बताया कि 15 अक्टूबर को कोरबा में शिकार के लिए लगाए गए बिजली के तार लगाए गए थे. इस तार में फैले करंट से दो युवकों की जान चली गई. इसी तरह 21 अक्टूबर को अंबिकापुर के बसंतपुर के जंगल में भी हादसा हुआ था. यहां भी एक शख्स जान से हाथ धो बैठा था.

सभी के लिए बड़ा खतरा
इन घटनाओं से ये पूरी तरह स्पष्ट है कि शिकार के उद्देश्य से बिछाए गए बिजली के तार, टूटी हुई बिजली लाइनें लोगों के लिए खतरा बन रही हैं. सिंघवी की याचिका को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया. हाईकोर्ट ने उनकी हस्तक्षेप याचिका पर भी शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट का यह आदेश अहम माना जा रहा है. क्योंकि, राज्य में आए दिन जानवरों की मौतें हो रही हैं. उनकी मौत पर ठोस कार्रवाई भी नहीं होती.