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भले ही सुस्‍त पड़ गई अर्थव्‍यवस्‍था पर आम आदमी के लिए आ सकती है खुशखबरी! बस अगले हफ्ते तक इंतजार

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तमाम दावों और कयासों से इतर दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की तस्‍वीर जरा धूमिल रही. दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था की स्‍पीड में भी ब्रेक लग गया और जुलाई-सितंबर तिमाही में इसकी रफ्तार सिर्फ 5.4 फीसदी रह गई, जो इससे पहले की तिमाही में 8 फीसदी के आसपास थी. जाहिर है इन आंकड़ों से न तो सरकार को खुशी हुई और न ही जनता में उत्‍साह दिखा. लेकिन, सुस्‍त पड़ी अर्थव्‍यवस्‍था ने आम आदमी के चेहरे पर मुस्‍कुराहट आने की एक उम्‍मीद जरूर जगा दी है. अब बस अगले सत्‍ताह तक इंतजार करना है और लोगों को जल्‍द ही एक खुशखबर मिल सकती है.

हालांकि, यह कयास सिर्फ मौजूदा हालात को देखते हुए लगाए जा रहे हैं लेकिन असल में फैसला रिजर्व बैंक के गवर्नर को करना है. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 4 से 6 दिसंबर, 2024 तक होनी है और 6 दिसंबर को गवर्नर सहित एमपीसी के 6 सदस्‍य रेपो रेट में कटौती पर फैसला करेंगे. पिछली 10 बार की बैठकों में रेपो रेट को हाथ भी नहीं लगाया गया और यह 6.5 फीसदी पर बरकरार है. इस बार 11वीं बैठक में अगर रेपो रेट नीचे आता है तो यह आम आदमी के लिए बड़ी राहत भरी खबर होगी.

क्‍यों है रेपो रेट घटने की उम्‍मीद
दरअसल, अभी तक रिजर्व बैंक का सारा जोर महंगाई दर को काबू में लाने पर रहता था और गवर्नर को देश के विकास दर की खास चिंता नहीं थी. उनका मानना था कि 7 फीसदी के आसपास भी विकास दर रही तो भी रेपो रेट को घटाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ऐसे में गवर्नर कई बार कह चुके थे कि मुख्‍य चिंता महंगाई दर को लेकर है, जो अभी तक तय दायरे 4 फीसदी से नीचे नहीं पहुंची है, जबकि विकास दर 7 फीसदी के आसपास बनी हुई है. आरबीआई ने तो दूसरी तिमाही में भी 7 फीसदी से ज्‍यादा विकास दर का अनुमान लगाया था, लेकिन असल में यह गिरकर 5.4 फीसदी पर आ गई.