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शेयर मार्केट में निवेश से पहले इन बातों का ध्यान रखें नौसिखिए, छू नहीं पाएगा घाटा!

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शेयर बाजार में निवेश करना एक चुनौतीपूर्ण लेकिन रोमांचक प्रक्रिया हो सकती है, खासकर नए निवेशकों के लिए. बाजार में सैकड़ों उद्योगों और अलग-अलग प्राइस रेंज के शेयर मौजूद हैं, जो निवेशकों को भ्रमित कर सकते हैं. सही जानकारी और गहन रिसर्च के साथ, नए निवेशक भी अपने लिए उपयुक्त शेयरों का चयन कर सकते हैं. यह प्रक्रिया न केवल वित्तीय लाभ का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि बेहतर निर्णय क्षमता विकसित करने में भी मदद करती है.

निवेश शुरू करने से पहले अपने वित्तीय लक्ष्य तय करना और जोखिम सहने की क्षमता का आकलन करना महत्वपूर्ण है. साथ ही, ऐसी कंपनियों में निवेश करना चाहिए जिन्हें आप अच्छी तरह समझते हों. कंपनी के वित्तीय अनुपात, प्रबंधन क्षमता और दीर्घकालिक लाभ की संभावना का आकलन करना सही निवेश निर्णय लेने के लिए अनिवार्य है. यह गाइड नए निवेशकों को सोच-समझकर निवेश करने में मदद करेगा.

1. अपने वित्तीय लक्ष्य तय करें
निवेश का उद्देश्य हर व्यक्ति के लिए अलग होता है. युवा निवेशक लंबे समय तक पोर्टफोलियो बढ़ाने पर ध्यान देते हैं, जबकि वरिष्ठ निवेशक पूंजी की सुरक्षा चाहते हैं. निवेश से पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों को स्पष्ट करें.

2. अपनी जोखिम उठाने की क्षमता समझें
हर निवेश विकल्प में जोखिम और रिटर्न अलग-अलग होते हैं. अपने जोखिम सहने की क्षमता का आकलन करें और उसी के अनुसार शेयरों का चयन करें.

3. कंपनी को समझे बिना निवेश न करें
वॉरेन बफेट का कहना है, “कभी भी उस कंपनी में निवेश न करें जिसे आप नहीं समझते.” बिना रिसर्च के या केवल हाइप के कारण निवेश करना नुकसानदायक हो सकता है.

4. वित्तीय अनुपात समझें
कंपनी की वित्तीय स्थिति को समझने के लिए वित्तीय दस्तावेज जैसे बैलेंस शीट और लाभ-हानि विवरण का अध्ययन करें. वर्किंग कैपिटल, प्राइस-टू-अर्निंग्स (P/E) और रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) जैसे अनुपातों का विश्लेषण करें.

5. ‘वैल्यू ट्रैप’ से बचें
कम कीमत वाले शेयर हमेशा अच्छे नहीं होते. कुछ कंपनियां आर्थिक संकट में होती हैं और उनके विकास की संभावनाएं सीमित होती हैं. निवेश से पहले कंपनी की प्रबंधन क्षमता और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ का आकलन करें.

6. हाई डिविडेंड यील्ड का पीछा न करें
हाई डिविडेंड यील्ड वाले शेयर हमेशा फायदेमंद नहीं होते. अगर डिविडेंड पेआउट रेशियो 100% से अधिक है, तो कंपनी की वित्तीय स्थिति कमजोर हो सकती है.