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गुस्सा, अफसोस और नाराजगी…अब फुल फायर हैं छगन भुजबल, फडणवीस सरकार में जगह न मिलने पर अजित पवार को धो डाला

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महाराष्ट्र में महायुति को जीत तो आसान मिली, पर सरकार बनाना कठिन टास्क था. सीएम को लेकर खूब खटपट हुई. करीब 12 दिनों के सस्पेंस के बाद देवेंद्र फडणवीस सीएम बने. फिर एक बार पोर्टफोलियो पर देरी हुई और सस्पेंस के बादल छाए. खटपट और देरी के बीच बीते दिनों देवेंद्र फडणवीस सरकार में कैबिनेट का विस्तार हुआ. अब जब कैबिनेट का विस्तार हो गया है, फिर भी खटपट खत्म नहीं हुई है. महायुति में मंत्री पद नहीं मिलने को लेकर खूब नाराजगी है. एनसीपी के छगन भुजबल तो मंत्री नहीं बनाए जाने से खूब फायर हैं. अब वह अपनी पार्टी के मुखिया अजित पवार पर हमले करने लगे हैं. छगन भुजबल तो साफ कह रहे हैं कि फडणवीस उन्हें मंत्री बनाना चाहते थे, मगर अजित पवार ही तैयार नहीं थे.

एचटी की खबर के मुताबिक, महायुति 2.0 सरकार में मंत्री पद नहीं मिलने पर एनसीपी के सीनियर नेता छगन भुजबल नाराज हैं. वह इस कदर भड़क चुके हैं कि सीधे अजित पवार को टारगेट कर कह रहे हैं कि वह कोई खिलौना नहीं हैं. जी हां, छगन भुजबल ने मंगलवार को अपनी ही पार्टी के मुखिया अजित पवार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मुझे पता है कि मुख्यमंत्री मुझे कैबिनेट में शामिल करना चाहते थे और मैंने इसकी पुष्टि भी की थी. जिस तरह से बीजेपी में देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना में एकनाथ शिंदे फैसला लेते हैं, उसी तरह एनसीपी में आखिरी फैसला अजित पवार ही लेते हैं.’

अब बगावत पर उतरे भुजबल
बागी रुख अख्तियार करते छगन भुजबल ने कहा, ‘मैं कोई खिलौना नहीं हूं, जिसके साथ वे अपनी मर्ज़ी से खेलें.’ उनकी नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि पार्टी में किसी भी फैसले के लिए उनकी राय नहीं ली जाती है. उन्होंने कहा, ‘जब मैं दूसरी पार्टियों में था, तो मेरी बातों को तवज्जो दी जाती थी, चाहे वह शिवसेना हो, कांग्रेस हो या फिर शरद पवार की एनसीपी.’ दरअसल, छगन भुजबल अविभाजित एनसीपी के उन सीनियर नेताओं में से हैं, जिन्होंने अजित पवार के पार्टी छोड़ने पर उनका साथ दिया था. उन्होंने कहा था कि शरद पवार उनके राजनीतिक गुरु हैं. बावजूद इसके उन्होंने अजित पवार का साथ देने का फैसला लिया था. अजित पवार ही उन्हें एनसीपी में लाए थे और उन्हें महाराष्ट्र का अध्यक्ष बनाया था. इसके बाद वह दो बार उपमुख्यमंत्री भी रहे.

अजित पवार को छगन ने धो डाला
छगन भुजबल ने कहा, ‘कोई भी फैसला लेने से पहले पार्टी में चर्चा होनी चाहिए. यहां तक कि बीजेपी की लिस्ट भी चर्चा के लिए दिल्ली जाती है. पवार साहेब (शरद पवार) भी चीजों पर चर्चा करते थे. लेकिन यहां आखिर तक किसी को नहीं पता होता है कि क्या होने वाला है.’ उन्होंने कहा, ‘एनसीपी को सिर्फ तीन नेता चला रहे हैं- अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे. चुनावी टिकट देने से लेकर मंत्री और विभागों के बारे में फैसला लेने तक, हर चीज़ में हमारा कोई योगदान नहीं है.’

शरद का साथ छोड़ने का है अफसोस?
छगन भुजबल ने दोहराया कि देवेंद्र फडणवीस उन्हें कैबिनेट में चाहते थे. उन्होंने कहा कि यह पक्की जानकारी है. लेकिन एनसीपी में आखिरी फैसला अजित पवार ही लेते हैं.’ हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि मंत्री पद ना मिलना उतना बड़ा मुद्दा नहीं है, जितना कि उन्हें नजरअंदाज किया जाना है. उनके समर्थकों ने उन्हें एनसीपी (अजित गुट) छोड़ने की मांग की है. छगन भुजबल ओबीसी नेता हैं. फिलहाल, वह अपने समर्थकों से राय-विचार कर रहे हैं. वह जल्द ही अपने कदम से सबको वाकिफ करेंगे. सूत्रों का कहना है कि छगन भुजबल अजित गुट की एनसीपी से खुद की राह अलग कर सकते हैं. अब देखने वाली बात होगी कि यह कब होता है.