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आम आदमी से चाहिए पाई-पाई, पर इन ‘बड़े लोगों’ के खाते देखना भूला आयकर विभाग, लग गई 12,800 करोड़ की चपत

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दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक की 11 डिस्टिलरी (Distilleries) और ब्रेवरीज़ (Breweries) ने 10 वर्षों में अपने बिक्री आंकड़ों में बड़ी गड़बड़ी की है. ऐसा करके इन्‍होंने 12800 करोड़ रुपये का टैक्‍स बचा लिया. नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की पिछले सप्‍ताह संसद में पेश की गई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. कैग ने आयकर विभाग की मूल्यांकन इकाइयों की कार्यप्रणाली में गंभीर खामियां भी उजागर कीं हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि विभाग ने उपलब्ध जानकारियों का इस्‍तेमाल नहीं किया और करदाताओं से प्राप्त विवरणों का पुन: मिलान नहीं किया गया. इसी लापरवाही के कारण ₹12,781 करोड़ का कर प्रभाव पड़ा है.

नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश की एक डिस्टिलरी ने अपने लाभ-हानि खाते में ₹4,036 करोड़ की बिक्री दिखाई, जबकि यूपी एक्साइज विभाग के अनुसार वास्तविक बिक्री ₹5,414 करोड़ थी. इस प्रकार ₹1,378 करोड़ की कम बिक्री रिपोर्टिंग हुई, जिससे ₹448 करोड़ का कर प्रभाव पड़ा. यह गड़बड़ी आकलन वर्ष 2011-12 से 2013-14 के बीच पाई गई.

रियायतों और छूटों की जांच नहीं
CAG ने यह भी बताया कि डिस्टिलरीज़ के खातों में दी गई बड़ी रियायतों और छूटों को खर्च के रूप में मान्यता दी गई, लेकिन इन दावों की सत्यता की जांच नहीं की गई.

CBDT को SOP जारी करने की सिफारिश
CAG ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को सुझाव दिया है कि डिस्टिलरी और ब्रेवरीज़ के आकलन के दौरान राज्य आबकारी विभाग से वित्तीय लेनदेन की जानकारी अनिवार्य रूप से मांगने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की जाए.

आयकर विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान
कैग की रिपोर्ट से आयकर विभाग की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लग गए हैं. आम आयकरदाता को छोटी-छोटी बातों पर स्‍पष्‍टीकरण मांगने वाले आयकर विभाग ने बड़ी कंपनियों की बातों पर कैसे आंख मूंदकर भरोसा कर लिया, यह भी आश्‍चर्यजनक है.