जीएसटी काउंसिल के हालिया फैसले ने बच्चों और बड़ों के पसंदीदा प्रोडक्ट पॉपकॉर्न के बीच ‘दीवार’ खड़ी कर दी है. एक ही प्रोडक्ट पर काउंसिल ने 3 तरह से जीएटी लगाकर पूरा मामला ही उलझा दिया है. आसान भाषा में कहें तो अब आपको अपने गली-मोहल्ले में पड़ोस वाले अंकल की दुकान पर महंगा पॉपकॉर्न मिलेगी, जबकि मॉल और मूवी थियेटर में खरीदेंगे तो सस्ता पड़ेगा. इतना ही नहीं अगर आपने मूवी टिकट के साथ पॉपकॉर्न भी खरीदा तो समझो लुट गए.
जी, बिलकुल सही पढ़ा आपने. पढ़कर लगा होगा कि यह कैसी उल्टी गंगा बह रही लेकिन जीएसटी के नए नियमों से यह बिलकुल सच हो गया है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि सिनेमा घरों में खुले रूप में बिकने वाले पॉपकॉर्न पर रेस्तरां की तरह ही 5 प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगता रहेगा. बस ध्यान ये रखना है कि आपको मूवी टिकट के साथ पॉपकॉर्न नहीं खरीदना है. ऐसा किया तो करीब 6 गुना ज्यादा जीएसटी चुकाना होगा.
जीएसटी काउंसिल ने अपनी हालिया बैठक में कहा था कि अगर नमक वाला पॉपकॉर्न पैकेट में पैक करके लेबल लगाकर बेचा जाता है तो उस पर 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा. अब आप तो जानते ही हैं कि पड़ोस वाले अंकल की दुकान पर पैकेट में भरा हुआ कंपनियों का लेबल लगा पॉपकॉर्न ही बिकता है. ऐसे में मॉल और मूवी थियेटर में आप खुली पैकेट में पॉपकॉर्न खरीदते हैं तो सिर्फ 5 फीसदी जीएसटी ही चुकाना पड़ेगा. जाहिर है कि आपको अंकल की दुकान पर करीब 7 फीसदी ज्यादा जीएसटी चुकाना पड़ेगा.
मल्टीप्लेक्स में मूवी देखते हुए पॉपकॉर्न खाना भला किसे नहीं पसंद है. लेकिन, अगर आपने गलती से भी टिकट के साथ ही पॉपकॉर्न भी खरीद लिया तो समझो बिक गए. आपको इस पॉपकॉर्न पर मूवी थियेटर जितना ही जीएसटी चुकाना पड़ेगा. मूवी थियेटर पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है, तो जाहिर है कि आपको अपने इस पॉपकॉर्न पर भी 28 फीसदी जीएसटी चुकाना पड़ेगा, जो वास्तविक जीएसटी 5 फीसदी के मुकाबले करीब 6 गुना ज्यादा महंगा पड़ेगा.