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यहां बिछी है मौत वाली सड़क! सेना के पास ना वो गाड़ी, ना वो मेटल डिटेक्टर, ये अभिशाप, नक्सलियों को वरदान

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छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में हुए नक्सली हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया, जिसमें 8 जवान सहित एक ड्राइवर शहीद हो गया. ये सभी जवान एक गाड़ी में सवार होकर नक्सली ऑपरेशन को अंजाम देकर हेडक्वार्टर पहुंच रहे थे. लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था. कुटरु में जवानों से भरी गाड़ी को निशाना बनाने नक्सलियों ने 50 किलो एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल किया था और मौत के इस सामान को सड़क से 5 से 6 फीट नीचे दबा रखा था. बस्तर के अंदरूनी इलाको में दर्जनों ऐसी सड़के हैं, जिनके नीचे बारूद दफन है और इन्हीं बारूदी सुरंगों के चलते डेढ़ दशक में जितनी भी घटनाएं हुई जवानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा.

मेटल डिटेक्टर की क्षमता बहुत कम
चूंकि इससे बचने के लिए सुरक्षा बलों के पास कोई कारगर तकनीक भी नहीं है. बम निरोधक दस्ते के पास मौजूद मेटल डिटेक्टर की क्षमता महज डेढ़ फीट नीचे तक आईईडी को ट्रेस करने की है. इसके अलावा एंटी लैंड माइन व्हीकल भी 25 किलो तक बारूद विस्फोट झेल सकती है. नतीजन आज भी बारूदी विस्फोट नक्सलियों के लिए एक शक्तिशाली हथियार बना हुआ है और जवानों के लिए गले की फांस. बता दें कि बीते 24 साल में बस्तर में 1197 ब्लास्ट हुए, जिसमें 1313 जवान शहीद हुए थे.

शहीद जवानों में से पांच पहले नक्सली थे
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सोमवार को माओवादी विस्फोट में मारे गए आठ सुरक्षाकर्मियों में से पांच सुरक्षाकर्मी नक्सलवाद छोड़कर पुलिस बल में शामिल हुए थे. पुलिस अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि विस्फोट में मारे गए जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के हेड कांस्टेबल बुधराम कोरसा और कांस्टेबल डूम्मा मरकाम, पंडरू राम एवं बामन सोढ़ी तथा बस्तर फाइटर्स के कांस्टेबल सोमडू वेट्टी सुरक्षाबल में शामिल होने से पहले नक्सली के रूप में सक्रिय थे.

आत्मसमर्पण करने के बाद नक्सली बने थे जवान
वे आत्मसमर्पण करने के बाद पुलिस में शामिल हुए थे. सुंदरराज ने बताया कि कोरसा और सोढ़ी बीजापुर जिले के निवासी थे, जबकि तीन अन्य पड़ोसी दंतेवाड़ा जिले के थे. उन्होंने बताया कि पिछले साल सात जिलों वाले बस्तर क्षेत्र में 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था. जिले के कुटरू थाना क्षेत्र के अंबेली गांव के पास सुरक्षाकर्मियों के काफिले में शामिल एक वाहन को नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट करके उड़ा दिया था. इस घटना में सुरक्षाबल के आठ जवानों और वाहन चालक की मौत हो गई. मृतकों में डीआरजी और बस्तर फाइटर्स के चार-चार जवान तथा एक वाहन चालक शामिल था. यह पिछले दो साल में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों द्वारा सुरक्षाबलों पर किया गया सबसे बड़ा हमला है.