पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सल नीति पर सरकार को सदन में घेरा. उन्होंने कहा कि नक्सलवाद को लेकर सरकार अलग-अलग बयान आता है. कभी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात करने की तो कभी कार्रवाई करने की बात कही जाती है. स्थिति स्पष्ट नहीं है. सरकार को आए 2 महीने हो गए, क्या प्रगति हुई? इसके बारे में सरकार मौन है. छत्तीसगढ़ में नक्सली घटना को हल्के में नहीं लिया जा सकता है.
विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पिछले 15 साल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही, लेकिन नक्सल नीति को लेकर कोई चर्चा नहीं की. बस्तर में जबरदस्त दहशत का माहौल था, नक्सली गतिविधि पर कोई कंट्रोल नहीं था. 5 सालों में हमारी सरकार ने नीति बनाई, उसके साथ-साथ पुलिस को सुरक्षा के लिए लगाया. जनता और पुलिस के बीच व्यवहार में परिवर्तन करवाया कि पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए है. पहले ये सड़कों का विरोध करते थे. सड़क को पहले मिलिट्री फोर्स आवागमन के लिए सुविधा मानते थे.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमने तेंदूपत्ता के रेट में वृद्धि की, मिलेट के रेट पर वृद्धि की, कर्ज माफ की, 2500 में धान खरीदी की, जमीन वापस की, वहां लोगों के जेब में पैसा पहुंचा, उससे परिवर्तन आया. सुविधाएं बढ़ाई, शिक्षा सुविधा विस्तार किया, जिससे लोगों का विश्वास बढ़ा. सैकड़ों आदिवासी जेल में सालों से बंद थे. बस्तर में विश्वास का वातावरण हमने निर्मित किया, यही कारण है कि 5 सालों में 600 सबसे ज्यादा गांव नक्सली मुक्त हुए.
भूपेश बघेल ने कहा कि गृह मंत्री कह रहे हैं कि कैंप के 5 किमी दायरे में विकास करेंगे. इसकी शुरुआत हमने पहले ही कर दिया था. इसी कारण से स्थिति बनी. किसी के पास राशन कार्ड नहीं था, किसी के पास जॉब कार्ड नहीं था, किसी के पास आधार कार्ड नहीं था. सारे कैंप लगाकर हमने किया. इसके कारण से परिवर्तन आया, वरना सिलगेर कोई जा नहीं पता था, अब तो बसें चलने लगी. 5 सालों में कभी कैंपों में हमला नहीं होता था, लेकिन 2 महीने की सरकार में कितने बार कैंप में हमले होने लगे. पहले भी ऐसा हुआ था, और अब भी ऐसा ही हो रहा है.