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भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक और अच्छी खबर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ में साढ़े 3 साल में दूसरा सबसे तेज सुधार

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भारत के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधि अप्रैल में धीमी रही, लेकिन फिर भी परिचालन स्थितियों में साढ़े तीन साल में दूसरा सबसे तेज सुधार दर्ज किया गया जिसे बढ़ती मांग का समर्थन मिला. मौसमी रूप से समायोजित ‘एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक’ (पीएमआई) अप्रैल में घटकर 58.8 हो गया जो मार्च में 59.1 था. पीएमआई के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है.

एचएसबीसी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि मजबूत मांग की स्थिति के कारण उत्पादन में और वृद्धि हुई, हालांकि मार्च की तुलना में यह वृद्धि थोड़ी धीमी रही. रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय विनिर्माताओं ने अप्रैल में घरेलू और बाहरी ग्राहकों से अपने माल की मजबूत मांग की सूचना दी. कुल नए ठेके में तेजी से वृद्धि हुई है और विस्तार की गति 2021 की शुरुआत के बाद से दूसरी सबसे मजबूत रही.

महंगाई दर औसत से नीचे बरकरार
इसके अलावा, अप्रैल में नए निर्यात कॉन्ट्रैक्ट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई. यद्यपि कुल बिक्री की तुलना में यह वृद्धि धीमी रही, जिससे पता चलता है कि घरेलू बाजार वृद्धि का मुख्य चालक बना रहा. सामग्री और श्रम लागत में वृद्धि की खबरों के बीच भारतीय विनिर्माताओं ने अप्रैल में अपने विक्रय मूल्यों में वृद्धि की. भंडारी ने कहा, ‘‘कीमत की बात करें तो कच्चे माल और श्रम की उच्च लागत के कारण कच्चे माल की लागत में मामूली वृद्धि हुई है, लेकिन मुद्रास्फीति ऐतिहासिक औसत से नीचे बनी हुई है.’’

उन्होंने कहा कि हालांकि, कंपनियों ने उत्पादन शुल्क बढ़ाकर इस वृद्धि का बोझ उपभोक्ताओं पर डाल दिया, क्योंकि मांग मजबूत बनी रही जिसके परिणामस्वरूप मुनाफे में सुधार हुआ. एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल ने करीब 400 कंपनियों के एक समूह में क्रय प्रबंधकों को भेजे गए सवालों के जवाबों के आधार पर तैयार किया है.

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