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शार्टेज वाले धान खरीदी केंद्रों से वसूली के लिए सहकारिता विभाग जारी किया गया पत्र…

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 500 बोरे से ज्यादा शार्टेज वाले खरीदी केंद्रों में अंतर की मात्रा की वसूली के लिए कलेक्टर के निर्देश पर खाद्य अधिकारी ने सहकारिता विभाग को पत्र जारी किया है. राजनीतिक रसूख की खातिर खोले गए खरीदी केंद्रों में ज्यादा गड़बड़ियां पाई गई हैं.कलेक्टर दीपक अग्रवाल के निर्देश पर जिला खाद्य अधिकारी सुधीर गुरु ने आज सहकारिता विभाग के सहायक पंजीयक, नोडल अधिकारी ने नाम पत्र जारी कर तीन खरीदी केंद्रों को धान शोर्टेज की मात्रा वसूलने पत्र जारी किया है. खाद्य शाखा से 07/05 को जारी पत्र के मुताबिक, खरीदी केंद्र चिचिया में 421.05 क्विं. (1052 बोरा), घुमरगुड़ा में 739.03 क्विं. (1847 बोरा) व लाटा पारा में 176.80 क्विं. (442 बोरा) की कमी पाने का हवाला देकर वसूली का निर्देश दिया गया है.

5 केंद्रों में वसूली की संभावना

जिला खाद्य अधिकारी सुधीर गुरु ने कहा कि नए निर्देश के मुताबिक, 500 बोरा धान की कमी सीपेज के तहत मान्य है. वर्तमान में 500 बोरा से ज्यादा कमी वाले केंद्रों का भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है. लगभग 15 खदीरी केंद्रों में मानक से ज्यादा कमी है. सत्यापन रिपोर्ट के बाद सभी से वसूली हेतु पत्र जारी किया जाएगा.

राजनीतिक रसूख के लिए खोले केंद्र

कांग्रेस शासन काल के अंतिम ढाई साल में जिले में 30 नए खरीद केंद्र खोल दिए गए. इनमें से ज्यादातर केवल राजनीतिक फायदे के लिए खोले गए. आज जारी तीनों खरीदी केंद्र में दो चिचिया और घुमरगुडा के अलावा बारबहली केंद्र निर्धारित मापदंड में नहीं आते. अधिकतम शार्टेज वाले संभावित 15 केंद्रों में से ज्यादातर खरीदी केंद्र हैं. इन केंद्रों में किसानों की आड़ में गिने-चुने लोगों का दबदबा चलता है. धान खरीदी से लेकर परिवहन तक के भारी धांधली होती है. अतरिक्त केंद्र खोलने से समितियों का संचालन व्यय भी बढ़ा हुआ है. धान खरीदी में धांधली रोकने नए केंद्रों की समीक्षा जरूरी है.

धीरे-धीरे खुल रही कलई

खरीदी के दरम्यान और खरीदी के बाद सहकारिता विभाग ने अपने भौतिक सत्यापन रिपोर्ट में आल इज वेल बता कर क्लीन चिट दे दिया था. लेकिन जैसे-जैसे धान का उठाव होता गया, अन्य विभाग से सत्यापन होना शुरू हुआ तो सहकारिता विभाग के दावे की कलई खुलते गई. क्रॉस चेकिंग में मिल रहे शार्टेज के चौकाने वाली रिपोर्ट के बावजूद सहकारिता विभाग अपने दावे पर अड़ा हुआ है. बता दे कि विभाग के अड़ियल रवैए से नाराज कलेक्टर ने पहले तो इन्हें दी जाने वाली इंसेटिव व्यय राशि पर रोक लगाने शासन को पत्र लिखा, उसके बाद अब नोडल को हटाने का दूसरा पत्र जारी कर चुके हैं.

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