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रजिस्ट्री का नया सिस्टम बना परेशानी का सबब: सॉफ्टवेयर में अपडेट नहीं हो रहा डाटा, नामांतरण के लिए इधर-उधर भटक रहे लोग

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छत्तीसगढ़ में फरवरी माह में शुरू हुआ जमीन रजिस्ट्री का नया सिस्टम न केवल क्रेता-विक्रेता बल्कि अधिवक्ताओं के लिए भी परेशानी का सबब बन गया है. इन परेशानियों से अधिकारियों को अवगत कराने के लिए कई बार कलेक्टर परिसर स्थित रेड क्रॉस भवन में अधिवक्ता जुटे थे. लेकिन परेशानी कम होने के बजाय और बढ़ती भी जा रही है. वहीं इस पूरे मामले छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने व्यवस्थाओं में सुधार के निर्देश दिए हैं.दरअसल, राज्य सरकार का दावा था कि नए NGDRS सिस्टम से ऑनलाइन रजिस्ट्री होते ही जमीन का नामांतरण भी हो जाएगा, लेकिन रजिस्ट्री के 4-4 महीने बाद भी डाटा अपडेट नहीं हो पा रहा हैं. इस वजह से तहसील के आरआई और पटवारी जमीन-मकान का नामांतरण नहीं कर रहे हैं. रोजाना दर्जनों लोगों को यह कहकर वापस किया जा रहा है कि रजिस्ट्री दफ्तर से जब तक डाटा नहीं मिलेगा नामांतरण नहीं होगा. इससे पहले रायपुर कलेक्टर डॉ गौरव ने कहा था कि कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह से डाटा तहसील तक ट्रांसफर नहीं हो पा रहा है. जिसे जल्द ही दूर कर लिया जाएगा. लेकिन अभी तक इस तकनीकी खामी को ठीक नहीं किया जा सका है.

वर्तमान में रजिस्ट्री विभाग से अभी हर दिन 100 से 150 रजिस्ट्री हो रही है. रजिस्ट्री होने के बाद इन सभी जमीन या मकान का डाटा राजस्व विभाग से संबंधित सॉफ्टवेयर में सेंड नहीं हो पा रहा है. इस वजह से तहसील रिकार्ड में जमीन की जानकारी अपडेट नहीं हो पा रही है. इससे लंबित मामलों की संख्या सैकड़ों में पहुंच गई है. इस मामले में तहसील के आला अफसर भी पंजीयन विभाग की गलती बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं. इस वजह से लोगों को तहसील और पंजीयन दफ्तर के बीच भटकना पड़ रहा है. रजिस्ट्री कार्यालय के चक्कर लगा रहे वकीलों और स्थानीय लोगो का कहना कई दिनों से चक्कर लग रहे है, लेकिन डाटा अपडेट नहीं हो रहा है जिससे परेशानी ही हो रही है. पहले के सिस्टम में दो दिनों में कंपलीट पेपर हाथ में आ जाते थे लेकिन अब कई दिनों के चक्कर लगाने के बाद पेपर हाथ में नहीं आते है.

मंत्री ओपी चौधरी ने व्यवस्थाओं में सुधार के दिए निर्देश
गौरतलब है कि पिछले 2 में महीने में जितनी रजिस्ट्री हुई है. उन सभी के नामांतरण अटक रहे हैं. जमीन का नामांतरण नहीं होने की वजह से कई बार लोग अपने ही मकान और जमीन की खरीदी बिक्री नहीं कर पा रहे है. वहीं इस पूरे मामले छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा की पहले डिफरेंट सॉफ्टवेयर था. अभी NGDRS का सॉफ्टवेयर है. उसमें भी कई इश्यूज आ रहे हैं. उसको भी हम अतिरिक्त टेक्निकल मैनपॉवर लाकर के व्यवस्था में सुधार का प्रयास करेंगे. दो-तीन महीने के भीतर रजिस्ट्री व्यवस्था पूरी तरीके से सुचारू रूप से चलेगी. आने वाले दिनों में हमारा कैशलेस रजिस्ट्री तक पहुंचाने का लक्ष्य है. उसके लिए हमारा भी विभाग लगातार प्रयास करेंगा. मुख्यमंत्री का भी इसमें लगातार मार्गदर्शन मिल रहा है.

डाटा अपलोड होने के बाद ही होती है नामांतरण की प्रक्रिया
जानकारों का कहना है की राजस्व विभाग के ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में डाटा अपलोड होने के बाद ही नामांतरण की प्रक्रिया शुरू होती है. रजिस्ट्री के पुराने सिस्टम में रजिस्ट्री के दो दिन बाद ही पूरा डाटा राजस्व विभाग के सॉफ्टवेयर में पहुंच जाता था. इसके बाद ऑटोमेटिक ही नामांतरण की प्रक्रिया शुरू होकर पूरी हो जाती थी. लेकिन नए सिस्टम में डाटा पहुंच ही नहीं रहा है. इस वजह से परेशानी बढ़ गई है.
बता दें कि फरवरी माह में शुरू हुआ NGDRS का ये नया सॉफ्ट वेयर कई राज्यों शुरू हो चुका है. लेकिन छत्तीसगढ़ में इसे शुरू हुए केवल 3 महीने का वक्त ही हुआ है. इसके शुरु होते ही कई तरह की खामियां सामने आ चुकी हैं. फिलहाल सरकार ने निर्देश दिए हैं कि इसे सही तरीके से ठीक होने में 2 महीने का वक्त लग सकता है. 2 महीने के बाद आम जनता को किसी भी प्रकार से परेशानी नहीं होगी. अब आगे देखना होगा मंत्री ओपी चौधरी के निर्देश के बाद यह नया सॉफ्टवेयर कितना कारगर साबित होगा.

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