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7300 किमी दूर हुई EVM से वोटिंग, फिर क्यों मचा बवाल, कैसे उस विवाद ने लगा दी भारत में ‘सियासी आग’

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लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए. सरकार भी बन गई पर ईवीएम का विवाद नहीं थमा. ईवीएम को लेकर एक बार फिर से भारत में सियासत गरमा गई है. सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं. खुद चुनाव आयोग को सामने आकर सफाई देनी पड़ रही है. अब सवाल उठता है कि आखिर चुनाव के बाद ईवीएम पर बवाल क्यों? तो इसका जवाब है कि भारत में ईवीएम पर लगी सियासी आग का धुआं करीब 7 हजार किलोमीटर दूर से उठा है. जी हां, अमेरिका में चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल पर उठ रहे सवाल के बीच भारत में यह बवाल हो रहा है. जब से एलन मस्क ने ईवीएम को हटाने की वकालत को लेकर एक्स पर पोस्ट किया, भारत में भी पक्ष-विपक्ष इस विवाद में कूद पड़ा.

दरअसल, अमेरिका में प्राइमरी चुनाव में ईवीएम पर सवाल उठे हैं. प्यूर्टो रिको में ईवीएम में मिसमैच की घटना सामने आई है. ईवीएम और पेपर ट्रेल की गिनती में अनियमितता पाई गई. ईवीएम में दबा कहीं और गिनती किसी और के खाते में हुई. पेपर ट्रेल रहने की वजह से ही यह गड़बड़ी पाई गई. पेपर ट्रेल के जरिए ही इस गलती की पहचान की गई और इसे सुधारा गया. अमेरिका में 2 जून के प्राइमरी चुनाव के नतीजों पर कोई विवाद नहीं है. उसमें नतीजे सही आ गए हैं और विजेताओं की सही पहचान हो गई है. मगर कुछ मामलों में ईवीएम मशीन द्वारा बताए गए मतों की संख्या कागज पर बताए गए मतों की संख्या से कम थी. कुछ मशीनों ने तो कुछ उम्मीदवार को जीरो वोट दिखाया, जबकि कागज में उसे कुछ और वोट मिले थे.

अमेरिका में क्यों मचा बवाल
इसके बाद प्यूर्टो रिको के चुनाव आयोग ने कहा है कि वह ‘प्राइमरी’ चुनाव में सैकड़ों विसंगतियों का पता चलने के बाद अमेरिकी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कंपनी के साथ अपने अनुबंध की समीक्षा कर रहा है. अमेरिका में अब सवाल उठने लगे हैं कि जहां पेपर ट्रेल की सुविधा नहीं हैं, वहां ईवीएम से खेल नहीं होगा, यह कैसे संभव है? इसी घटना पर अमेरिका में भी बवाल मचा हुआ है. भारत में ईवीएम की आग तब भड़की जब एलन मस्क ने ईवीएम के खिलाफ पोस्ट किया. एलन मस्क ने कहा कि हमें इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों को हटा देना चाहिए. इसे इंसानों या एआई द्वारा हैक किए जाने का रिस्क है. भले ही यह छोटा रिस्क हो, मगर रिस्क तो हो.

एलन मस्क के पोस्ट से विवाद
दरअसल, एलन मस्क ने यह पोस्ट अमेरिकी राष्ट्रपति पद के इंडिपेंडेंट उम्मीदवार रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर की एक पोस्ट को रीपोस्ट करके कही. कैनेडी ने अपने पोस्ट में लिखा था, ‘प्यूर्टो रिको के प्राइमरी इलेक्शन में ईवीएम से वोटिंग के दौरान कई अनियमितताएं देखी गईं. सौभाग्य से यह एक पेपर ट्रेल था, इसलिए समस्या की पहचान की गई और वोटों की गिनती को सही किया गया. उन क्षेत्रों में क्या होता होगा, जहां कोई पेपर ट्रेल नहीं है? अमेरिकी नागरिकों के लिए यह जानना आवश्यक है कि उनके प्रत्येक वोट की गणना की गई है और उनके चुनावों में कोई सेंध नहीं लगाई जा सकती. चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप से बचने के लिए उन्हें पेपर बैलेट पर वापस लौटना होगा.’

भारत में भी ईवीएम पर बवाल
ईवीएम पर एलन मस्क के पोस्ट के बाद भारत में सियासी संग्राम शुरू हो गया. भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एलन मस्क की खिंचाई की और कहा कि उन्हें भारत आकर कुछ सीख लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत की ईवीएम में कोई कनेक्टिविटी नहीं, कोई ब्लूटूथ, वाई-फाई, इंटरनेट नहीं; कोई रास्ता नहीं है. फैक्ट्री-प्रोग्राम्ड कंट्रोलर जिन्हें दोबारा प्रोग्राम नहीं किया जा सकता है. हालांकि, राहुल गांधी भी इस विवाद से पीछे नहीं हटे. उन्होंने भी ईवीएम पर संदेह जताते हुए इस पर सवाल खड़े किए. उन्होंने मस्क के पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा कि भारत में ईवीएम एक ब्लैक बॉक्स है और किसी को भी इसकी जांच की अनुमति नहीं है. उन्होंने अपनी पोस्ट में मुंबई की घटना का जिक्र किया

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