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HRA क्‍लेम करते वक्‍त लगाई यह ‘जुगत’ डाल देगी झमेले में, देना पड़ेगा जुर्माना, भाग-दौड़ होगी सो अलग

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वेतनभोगी लोगों को हाउस रेंट अलाउंस (HRA) पर आयकर अधिनियम की धारा 10(13A) के तहत टैक्‍स छूट मिलती है. इस छूट का लाभ वो ही कर्मचारी उठा सकता है जो पुरानी कर व्‍यवस्‍था अपनाकर आयकर रिटर्न दाखिल करता है. एचआरए पर कर छूट के लिए बहुत से आयकरदाता फर्जी किराया रसीदों का इस्‍तेमाल करते हुए पकड़े गए हैं. इसी को देखते हुए आयकर विभाग ने अब एचआरए क्‍लेम का जांच काफी सुक्ष्‍मता से करनी शुरू कर दी है. इसलिए आप भी एचआरए क्‍लेम करते वक्‍त फर्जी रेंट रसीदें देने से बचें. अगर कोई आयकर दाता फर्जी किराया रसीदों की मदद से टैक्‍स छूट लेते पाया जाता है तो आयकर विभाग उस पर मोटा जुर्माना लगा सकता है.

एचआरए वेतनभोगी व्यक्ति की आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, यह कर्मचारी को कर बचाने में काफी मदद करता है. नियोक्ता कर्मचारी के वेतन से हाउस रेंट अलाउंस (HRA) काटते हैं. यह कटौती आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय फॉर्म 16 के भाग B में देखी जा सकती है. यह समझना महत्वपूर्ण है कि धारा 10(13A) के तहत HRA छूट का दावा केवल तभी किया जा सकता है जब कोई किराए के घर में रहता हो. जो लोग अपने घर में रहते हैं, वे HRA छूट लाभ के लिए पात्र नहीं हैं.

फर्जी दावा पकड़ना हुआ आसान
अब ज्‍यादातर वित्तीय लेनदेन पैन (PAN) से जुड़ गए हैं. ऑटोमेटेड प्रोसेस और डेटा एनालिटिक्स के साथ टैक्‍स अधिकारियों के लिए फर्जी क्‍लेम को ट्रैक करना अब आसान हो गया है. अगर कोई आयकरदाता फर्जी रसीदों के सहारे टैक्‍स छूट लेते पकड़ा जाता है तो उसे न केवल बाद में टैक्‍स भुगतान, बल्कि जुर्माने और मुकदमेबाजी का भी सामना करना पड़ सकता है. अगर आप किराए पर रह रहे हैं और एचआरए छूट पाना चाहते हैं तो आपको किरायानामा जरूर बनवाना चाहिए. साथ ही मकान मालिक को किराए का भुगतान नकदी में देने की बजाय चैक या इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर के जरिये करना चाहिए.

देना पड़ सकता है 200 फीसदी तक जुर्माना
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, डीवीएस एडवाइजर्स के संस्थापक और सीईओ दिवाकर विजयसारथी का कहना है कि किसी भी आयकरदाता द्वारा अपनी आय की गलत रिपोर्टिंग करने पर उसके खिलाफ आयकर अधिनियम की धारा 270ए के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है. पास गलत रिपोर्ट की गई आय पर लागू कर का 200 प्रतिशत तक जुर्माना भरना पड़ सकता है. आय की गलत रिपोर्टिंग में तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करना या छिपाना, दस्तावेजी साक्ष्य द्वारा समर्थित न होने वाले व्यय का दावा करना, अकाउंट बुक में किसी भी गलत इंट्री को दर्ज करना आदि शामिल है.

टैक्स और कंसल्टेंसी फर्म एकेएम ग्लोबल में टैक्स मार्केट के चीफ येशू सहगल ने का कहना है कि आयकर अधिकारी को अगर लगे की किराया रसीदें फर्जी है तो वह इनको ठुकराकर आयकरदाता की आय की गणना फिर से कर सकता है. साथ ही वह नोटिस भेजकर स्‍पष्‍टीकरण मांग सकता है. आयकर अधिनियम की धारा 271एडी के अनुसार, जाली या झूठे दस्तावेजों या दस्तावेजी सबूतों को तोड़-मरोड़कर पेश करना गलत एंट्री माना जाता है और ऐसा करने पर 10,000 रुपये का जुर्माना या कर चोरी के आरोप में दंड लगाया जा सकता है.

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