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सरकारी खजाने को राहत! राजकोषीय घाटा गिरकर 3 फीसदी पर पहुंचा, देश को इससे क्‍या फायदा होगा

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सरकार को आर्थिक मोर्चे पर एक और राहत मिली है. राजकोषीय घाटे में बड़ी गिरावट से सरकार ने राहत की सांस ली है. केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में वार्षिक अनुमान का सिर्फ तीन प्रतिशत रहा. इस दौरान लोकसभा चुनावों के चलते आदर्श आचार संहिता लगे होने की वजह से सरकारी व्यय सीमित रहा.

राजकोषीय घाटे का मतलब होता है कि सरकार ने जो पैसा कमाया और जितना खर्च किया, उसके बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं. आपको बता दें कि राजकोषीय घाटा पिछले वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में 2023-24 के बजट अनुमानों का 11.8 प्रतिशत था. चालू वित्त वर्ष (2024-25) के लिए सरकार का अनुमान है कि राजकोषीय घाटा 16,85,494 करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.1 प्रतिशत रहेगा. राजकोषीय घाटा कम होने से सरकार के पास खर्च करने के लिए ज्‍यादा पैसे रहेंगे, जिसका फायदा आर्थिक वृद्धि और अर्थव्‍यवस्‍था को मिलेगा.

तीन महीने में कितना घाटा
महालेखा नियंत्रक (सीजीए) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-मई 2024 की अवधि में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 50,615 करोड़ रुपये यानी वित्त वर्ष 2024-25 के कुल बजट अनुमान का तीन प्रतिशत था. पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह बजट अनुमान का 11.8 प्रतिशत था.

सरकार ने कितना पैसा कमाया
अप्रैल से मई के महीने में शुद्ध कर राजस्व 3.19 लाख करोड़ रुपये यानी वित्त वर्ष 2024-25 के बजट अनुमान का 12.3 प्रतिशत रहा. वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में यह 11.9 प्रतिशत था. मई 2024 के अंत में सरकार का कुल व्यय 6.23 लाख करोड़ रुपये यानी मौजूदा वित्त वर्ष के बजट अनुमान का 13.1 प्रतिशत था. एक साल पहले की अवधि में यह बजट अनुमान का 13.9 प्रतिशत रहा था.

कम रहा सरकार का खर्चा
सरकारी व्यय कम रहने की वजह यह है कि सरकार चुनावों के दौरान आचार संहिता लागू रहते समय नई परियोजनाओं पर खर्च करने से परहेज करती है. वित्त वर्ष 2023-24 में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.6 प्रतिशत रहा था. राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम के अनुसार, सरकार की योजना 2025-26 में राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत तक सीमित रखने की है.

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