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लोगों का मासिक खर्च करीब ढाई गुना बढ़ गया है, नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के मुताबिक

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खाने-पीने से लेकर तमाम तरह की चीजों और सर्विसेज पर प्रति व्यक्ति औसत मासिक खर्च कितना गुना बढ़ गया है? भारत में कौन से सोशल ग्रुप्स सबसे कम या ज्यादा खर्च करते हैं? इन सवालों के जवाब हाउसहोल्ड कंजम्पशन एक्सपेंडिचर (2022-23) सर्वे डेटा में मिलते हैं.

स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लिमेंटेशन मिनिस्ट्री (MOSPI) के तहत आने वाले नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) ने अगस्त 2022 और जुलाई 2023 के बीच हाउसहोल्ड कंजम्पशन एक्सपेंडिचर सर्वे यानी एचसीईएस (HCES) कराया था. एचसीईएस, 2022-23 के तहत भारत में कंजम्पशन पैटर्न का अनुमान लगाने के लिए रूरल एरिया में 1,55,014 और अर्बन एरिया में 1,06,732 परिवारों का सैंपल लिया गया. आखिरी बार बड़े पैमाने पर कंजम्पशन एक्सपेंडिचर सर्वे 2011-12 में किया गया था. बता दें कि ये सर्वे आमतौर पर 5 साल पर होते हैं.

11 सालों में ऐवरेज मंथली पर कैपिटा कंजम्पशन एक्सपेंडिचर (MPCE) में बदलाव

रूरल एरिया-
एससी  +178 फीसदी
एसटी  +169 फीसदी
ओबीसी  +167 फीसदी
अन्य  +155 फीसदी

अर्बन एरिया-
एससी  +172 फीसदी
एसटी  +162 फीसदी
ओबीसी  +147 फीसदी
अन्य  +126 फीसदी

सोशल ग्रुप्स में MPCI
सर्वे के मुताबिक, देश में अनुसूचित जनजातियां (ST) कम खर्च करती हैं, अर्बन एरिया में वे अनुसूचित जातियों (SC) की तुलना में थोड़ा ज्यादा खर्च करते हैं. ‘अन्य’ सोशल ग्रुप कैटेगरी रूरल और अर्बन एरिया में सबसे ज्यादा खर्च करती है. पूरे भारत में अनुसूचित जनजातियों का एमपीसीई 3,260 रुपये और अनुसूचित जातियों का एमपीसीई 3,859 रुपये है. रूरल एरिया में अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों का एमपीसीई क्रमशः 3,016 रुपये और 3,472 रुपये है.

रूरल-अर्बन गैप घटा
पूरे देश की बात करें तो 2010-11 में रूरल एरिया में ऐवरेज मंथली पर कैपिटा कंजम्पशन एक्सपेंडिचर यानी एमपीसीई (MPCE) 1430 रुपये और अर्बन एरिया में 2630 रुपये पर थे. ये 2022-23 में ये आंकड़े करीब ढ़ाई गुना बढ़कर रूरल इलाकों में 1430 रुपये और अर्बन इलाकों में 2630 रुपये पर पहुंच गए.

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