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झारखंड में आदिवासी सीता सोरेन और बाबूलाल मरांडी को भाजपा क्यों जनरल सीट से उम्मीदवार बनाना चाहती है? कारण जान रह जाएंगे हैरान

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रांची. झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा किसी भी वक्त हो सकती है. चुनाव आयोग की टीम ने तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है. सब ठीक रहा हो तो अक्तूबर आखिर से चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. सभी दल उम्मीदवार चयन के काम में लग गए हैं. दोनों गठबंधनों- एनडीए और ‘इंडिया’ में सीटों के बंटवारे का आरंभिक काम पूरा हो चुका है. एनडीए में तो उम्मीदवारों के ज्यादातर नामों की घोषणा नवरात्र में ही हो जाने की उम्मीद है. सीटों की संख्या और क्षेत्र निर्धारण का काम ही कठिन होता है. यह निपट गया तो बाकी में कोई लफड़ा नहीं रहता. जैसे गठबंधन का कोई दल अकेले प्रचार करेगा कि साझे में. कोई विरोधाभासी बात किसी के मुंह से न निकले. ऐसी ही बातें टिकट बंटवारे में आखिरी चरण में आती हैं. एनडीए में उम्मीदवारों की घोषणा की हड़बड़ी दिखती है. इंडिया ब्लॉक भी इस पर काम कर रहा है. पर, इंडिया ब्लॉक में सीटों का बंटवारा थोड़ा कठिन लग रहा है.

बाधाओं के बीच हेमंत सरकार के 5 साल पूरे
झारखंड में दो ही गठबंधन प्रमुख हैं. गठबंधन कोई और भी होगा तो दोनों प्रमुख गठबंधनों के आगे उसकी क्या बिसात! दोनों प्रमुख गठबंधन हैं- ‘इंडिया’ और एनडीए. पहले ‘इंडिया’ की बात. इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल पहले से साथ थे. अब सीपीआई (एमएल) की भी इसमें एंट्री हो चुकी है. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में जेएमएम ने गठबंधन का नेतृत्व किया और 43 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. 30 सीटों पर जीत मिली. कांग्रेस ने 31 पर लड़ कर 19 जीतीं. आरजेडी ने सात पर किस्मत आजमाया, लेकिन जीत सिर्फ एक पर मिली. गठबंधन बहुमत पा गया और कई बाधाओं को पार करते हुए सीएम हेमंत सोरेन कार्यकाल के पांच वर्ष पूरे कर रहे हैं.

सब चाह रहे 2019 से अधिक बर्थ
इस बार इंडिया ब्लॉक को दो तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. अव्वल तो सभी इस बार 2019 से अधिक सीटों पर लड़ने की बात कह रहे. दूसरी समस्या पहली बार साथ आई सीपीआई (एमएल) को लेकर है. अभी इसके सिर्फ एक विधायक है, पर पिछला चुनाव पार्टी ने 15 सीटों पर लड़ा था. इसलिए कम से कम दर्जन भर सीटों पर दावेदारी तो बनती ही है. सीपीआई के टाप लीडर डी राजा हाल ही रांची आए थे. उन्होंने इंडिया ब्लॉक में शामिल होने की इच्छा जताई थी. हालांकि उन्होंने 12 सीटों की दावेदारी भी कर दी थी. इंडिया ब्लॉक में किसी ने उसका संज्ञान ही नहीं लिया. सीपीआई भी साथ हो जाए तो सीट बंटवारे के लफड़े का अनुमान लगाया जा सकता है. जो पार्टियां पहले से ही इंडिया ब्लॉक में हैं, उन्हें भी पिछले मुकाबले इस बार अधिक सीटें चाहिए.

‘इंडिया’ में दिख रहा ज्यादा लफड़ा
गठबंधन के पुराने स्ट्रक्चर पर ही गौर करें तो जेएमएम 45 से कम पर मानने को तैयार नहीं है. कांग्रेस का पत्ता तो नहीं खुला है, पर पिछली बार की 30 सीटों से कम पर वह शायद ही माने. बाकी बची 6 सीटों में आरजेडी कितनी सीटों पर मानेगा, जो सात पर तो लड़ चुका है. इस बार उसकी 19 की मांग है. सीपीआई (एमएल) को कितनी सीटें मिलेगी, जब उसने पिछली बार 15 पर अपनी जमीन तैयार की थी. इसलिए इंडिया ब्लॉक को सीटों का गणित सुलझाने में दिक्कत हो रही है.
एनडीए तो ‘इंडिया’ से बहुत आगे है
इधर-उधर के राज्यों के सफल प्रयोगों के तर्ज पर हेमंत सोरेन ने भी चुनावी रणनीति बनाई है. उनका प्रबंधन भी ठीक-ठाक है. मंगर तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो ‘इंडिया’ से एनडीए काफी आगे दिखता है. सीट शेयरिंग का सवाल हो या उम्मीदवारों का चयन, हेमंत के नेतृत्व वाला गठबंधन अभी तक मुकाबले में नहीं दिखता. इसी से समझिए. इंडिया ब्लॉक में अभी सीट बंटवारे की दावेदारी तक ही बात है. दूसरी ओर एनडीए में उम्मीदवारों की घोषणा को अंतिम रूप दिया जा रहा है. भाजपा ने अनौपचारिक रूप से अपने दो उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं. मीडिया रिपोर्ट है कि जेएमएम छोड़ भाजपा में गईं शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन आरक्षित जामा की अपनी पारंपरिक सीट छोड़ जामताड़ा की सामान्य सीट से चुनाव लड़ेंगी. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भी आदिवासी होने के बावजूद किसी एसटी सीट से नहीं लड़ेंगे. वे पिछली बार जीती राजधनवार की जनरल सीट से उम्मीदवार होंगे. नवरात्र के दौरान भाजपा की बड़ी सूची भी जारी होने की उम्मीद है. झारखंड के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और हिमंता विश्व शर्मा इसके संकेत दे चुका हैं.
भाजपा ने दर्जन भर नाम तय किए
भाजपा के भीतर की खबरें हैं कि तकरीबन हर सीट के लिए उम्मीदवार का चयन हो चुका है. नवरात्र में पहली सूची जारी हो जाएगी. अनुसूचित जाति की आरक्षित सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को भाजपा ने प्राथमिकता दी है. सामान्य सीटों में कुछ उम्मीदवारों के नाम तो पहले से ही तय माने जा रहे हैं. भाजपा ने जो नाम तकरीबन फाइनल कर लिए हैं, उनमें राजधनवार से बाबूलाल मरांडी, जामताड़ा से सीता सोरेन के अलावा भवनाथपुर से भानु प्रताप शाही, दुमका से लुइस मरांडी, गोड्डा से अमित मंडल, खूंटी से नीलकंठ सिंह मुंडा, जामा से सुनाली सोरेन, जगन्नाथपुर से गीता कोड़ा, राजमहल से अनंत ओझा, घाटशिला से चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन, सरायकेला से चंपाई सोरेन, गुमला से मिसिर कुजूर और शिकारीपाड़ा से परितोष सोरेन के नाम तय माने जा रहे हैं. पितृपक्ष खत्म होते ही एक और दो अक्टूबर को प्रदेश चुनाव समिति की बैठक होनी है. उसी वक्त कम से कम चार दर्जन उम्मीदवारों के नाम पर अंतिम मुहर भी लग सकती है.