गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी को राहत नहीं दी है। कोर्ट ने 2 साल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। जिसके बाद अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं ने सभी कार्यक्रमों को निरस्त करके राहुल के समर्थन में धरने पर बैठ गए हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव और पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम समेत तमाम कांग्रेसी नेता रायपुर के अंबेडकर चौक पहुंचकर धरना प्रदर्शन किया।
भूपेश बघेल ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए क्या कुछ कहा, 5 पॉइंट में पढ़िए…
- अंग्रेज केवल महात्मा गांधी से डरते थे बीजेपी राहुल गांधी से डर रही है। अंग्रेज और बीजेपी दोनों फूट डालो राज करो की नीति पर चल रहे हैं।
- बीजेपी के लोग डरे हुए हैं। सच का सामना नहीं कर सकते। राहुल गांधी सच की बात करते हैं, ईमान की बात करते हैं। अब तो लोकसभा से भी सदस्यता समाप्त हो गई है फिर भी ये डर रहे हैं।
- राहुल गांधी ने भारत जोड़ने का काम किया। उन्होंने सच्चाई के साथ लड़ाई लड़ी। कन्याकुमारी से लेकर श्रीनगर तक हर जगह राहुल गांधी के साथ लोग थे।
- आज देशभर में सबसे लोकप्रिय नेता राहुल गांधी हैं। कश्मीर में सबसे प्रिय नेता राहुल गांधी हैं। कश्मीर में फोर्स ने रोका फिर भी नहीं रुके।
- राहुल गांधी को कितना भी परेशान कर लें भाजपाई, राहुल गांधी न झुकेंगे और न रुकेंगे।
इधर टीएस सिंहदेव ने कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले से कांग्रेस न तो सहमत है और न ही संतुष्ट हैं। देश में न्याय प्रणाली के तहत जो रास्ते हैं वो अपनाएंगे।
सभी कार्यक्रम रद्द किए गए
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज बूथ चलो अभियान के तहत सामुदायिक भवन भाठागांव, रंग मंदिर बैजनाथ पारा और वृंदावन हॉल के कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे। इसके अलावा टीएस सिंहदेव और मोहन मरकाम भी कई कार्यक्रमों में शामिल होने वाले थे लेकिन सभी कार्यक्रम रद्द करके धरना प्रदर्शन किया गया।
गुजरात हाईकोर्ट ने कहा- इस केस में सजा न्यायोचित
जस्टिस हेमन्त प्रच्छक ने कहा, ‘राहुल के खिलाफ कम से कम 10 क्रिमिनल केस पेंडिंग हैं। इस केस के अलावा उनके खिलाफ कुछ और केस फाइल किए गए हैं। एक तो वीर सावरकर के पोते ने दायर किया है। किसी भी हाल में सजा पर रोक नहीं लगाना अन्याय नहीं है। इस केस में सजा न्यायोचित और उचित है। राहुल गांधी ऐसे आधार पर सजा पर रोक की मांग कर रहे हैं, जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है। सूरत कोर्ट के फैसले में दखल की आवश्यकता नहीं है। याचिका खारिज की जाती है।’