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जिला मुंगेली में बढ़ रहा है समस्याओं का अंबार….जहां चल रहा है जनदर्शन का दरबार

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जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश के बहुत पुराने तहसीलों में गिनती रहा है किसी को मुंगेली के बारे बताये उससे पहले कह देते हैं जिला चाहे 22-23 के नये है मगर तहसीलों में बहुत ही सधे अनुभवी संघर्षरत बुजुर्ग का अनुभव है मुंगेली विकास तो नहीं देखे मगर विकास में योगदान करने वाले जन नेता बहुत देखें है राजनैतिक नेताओं तो अपने अपने सत्ता के लालच में रोटी सेंकते हैं लेकिन यहां किसानों के नेता सामाजिक नेता धार्मिक नेता व्यापारिक नेताओं के द्वारा भी मुंगेली के विकास की आहुति में अपने आपको थोड़ा बहुत जरूर जलाएं है समय-समय पर शासन सत्ता बदला प्रदेश के बागडोर संभालने वाले मुखिया बदला लेकिन सबसे पुराने तहसील से अब नये जिला में परिवर्तित युवा जिला में निवासरत गरीब कमजोर मजदूर किसान की समस्यायों का निदान होता नहीं दिख रहा है यहां समस्या लेकर जाओगे तो आश्वासन पुरा मिलता लेकिन उसी का ब्याज सहित पुनः समस्या खड़ा दिखाई देता रहा है जिसका उदाहरण सरकार के आदेश से चल रहे कलेक्टर जनदर्शन की झांकी में सब स्पष्ट दिखाई देगा आवेदन आते हैं अधिकारी नाम ग्राम और समस्या सभी का खुला एलाउंस होता हैं जिस जिस विभाग की शिकायते मांग होता है वहां कोई न कोई अधिकृत अधिकारी कर्मचारी बैठा रहता है वो केवल स्कूल में बैठे बच्चे की तरह हाजिरी लगाकर चलें जाते हैं परिणाम सभी बच्चे फैल यहां का मुख्य कारण है जन समस्या जिसका निराकरण कम पैदावार ज्यादा दिख रहा है क्या यह शासन प्रशासन के लिए चैलेंज नहीं है जिला मुंगेली में समस्या छोटी रहती है समाधान की कुंजी में प्रशासनिक और नौ सिखिऐ नेताओं की मथनी से दुध और छाछ अलग पड़ जाते हैं जिसका दुष्परिणाम ही है जिला में समस्या का बढ़ना चुनें हुएं जनप्रतिनिधियों को समस्या कम विकास ज्यादा दिखाई पड़ता है उन्हें तो समस्या आम लोगों की दिनचर्या दिखाई देता है सरकार का आदेश रहता है किसी भी प्रकार के समस्या का समाधान तुरंत हो लेकिन सरकार और उच्च अधिकारियों की आदेश की अवहेलना करना भी जिला मुंगेली की बहुत बड़ी समस्या है कलेक्टर महोदय का कडा आदेश रहता है समाचारपत्र में प्रकाशित खबरें देंगे तो इस प्रकार की गलतियों को दुबारा हम कभी मांफ नहीं करेंगे इस प्रकार की व्यवस्थाओं पर कलेक्टर का कडा रूख इस प्रकार के फलां फलां कार्य में कलेक्टर ने नाराज़गी जताई यह सभी उच्च अधिकारी तक ही रूक जाता है नीचे आम जनता की समस्या और उच्च अधिकारी की नाराज़गी दोनों विपरित दिशा में चले जाते हैं अब देखना होगा हमारे द्वारा समाचार प्रकाशन करनें के बाद समस्या के समाधान में कुछ तेजी आएंगे या समस्या के ऊपर लगातार समाचार प्रकाशन करना भी एक समस्या बन जाऐगा

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