कावड़ यात्रा लेकर मोतीबाग चौक मंदिर पहुंचे समाज सेवी सीए अमित चिमनानी ने बताया यात्रा में बच्चो ,बुजुर्गो ने भी भाग लिया ,कुछ बच्चे शिव जी के स्वरूप में दिखे,रास्ते में लोगो ने श्रद्धा भाव से उन्हें नारियल भी चढ़ाए। इस यात्रा में लोग 7 नदियों गौमुख गंगाजल /महादेव घाट जल /शिवनाथ नदी जल /त्रिवेणी संगम जल /महादेव नदी जल/अरपा नदी जल/ नर्मदा नदी का जल लेकर भगवान भोलेनाथ के पास पहुंचे उनका अभिषेक किया। कावड़ यात्रा के दौरान देश भक्ति की झलक दिखी सफेद कपड़ों में वंदे मातरम के बैनर पोस्टर लिए देशभक्त नागरिक बोल बम के नारे लगाते रहे। यात्रा में शामिल छोटे बच्चों को कांवड़ यात्रा का महत्व बताया गया। आयोजकों ने कहा कि इससे बच्चों मंे सनातन संस्कृति की जागरुकता भी आएगी। पूज्य सिंधी पंचायत संत कंवर राम नगर कटोरा तालाब ने कावड़ यात्रा का भव्य स्वागत किया।
यात्रा में शंकर नगर पंचायत के अध्यक्ष श्री प्रहलाद शादिजा,भारतीय सिंधु सभा के मुरलीधर शादीजा,जैन समाज से तनय लूनिया,जयेश बोथरा , चयन जैन विश्व हिंदू परिषद से योगेश सैनी, वात्सल्य मूर्ति ,सर्व समाज समिति से जयराम दुबे,दलविंदर बेदी,गंगनदीप सिंह, बढ़ते कदम से बंटी जुमनानी महावीर नगर पंचायत से अजय जयसिंघानी,टिकरापारा पंचायत से झामनदास बजाज, ॐ मंडली से रोहित सिंह,बड़ी संख्या में भक्त गण माजूद रहे ।
महादेव घाट में गूंजा हर-हर महादेव
सोमवार को बड़ी तादाद में लोग महादेव घाट के मंदिर भी पहुंचे। राजधानी रायपुर से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर शहर की जीवनदायिनी मानी जाने वाली खारुन नदी तट पर ऐतिहासिक हटकेश्वर नाथ मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि 1402 ई में कल्चुरी राजा रामचंद्र के पुत्र ब्रह्मदेव राय के शासन काल में हाजीराज नाइक ने मंदिर का निर्माण कराया था। हरिद्वार के लक्ष्मण झूला की तर्ज पर दो साल पहले खारुन नदी के उपर सड़क रूपी झूला बनाया गया है। जबसे यह झूला बना है। तबसे यहां सैलानियों की संख्या कई गुणा बढ़ चुकी है।
सावन महीने का महत्व
हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन का महीना पांचवां महीना होता है। आषाढ़ खत्म होते ही श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से सावन का पवित्र महीना शुरू हो जाता है। इस माह को श्रावण के नाम से भी जाना जाता है। श्रावण का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना होता है।
भोले भंडारी को सावन का महीना प्रिय होने के पीछे एक कथा है। सावन के महीने ही मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
सावन के महीने में शिवलिंग का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। पूरे सावन महीने के दौरान हर दिन शिवजी की पूजा-उपासना करने पर सभी तरह की मनोकामना जल्दी पूरी होती हैं। सावन के महीने में सोमवार व्रत, मासिक शिवरात्रि और कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है।