राजधानी में संपत्तिकर को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। निगम ने शहर के सभी 70 वार्डों के मकानों की यूनिक आईडी बनवाई तो पता चला कि करीब एक लाख 30 हजार मकान वाले ऐसे हैं जो निगम को संपत्ति कर का भुगतान ही नहीं कर रहे हैं। इनमें 40 हजार से ज्यादा मकान मालिक ऐसे हैं जिन्होंने दो या पांच साल पहले मकान बनाया है, लेकिन उसकी जानकारी निगम को नहीं दी। इस वजह से निगम उनसे प्रॉपर्टी टैक्स नहीं ले रहा है। अधिकतर लोगों ने अपने खाली प्लॉट की जानकारी भी निगम को नहीं दी है। इससे निगम को हर साल करीब 125 करोड़ का नुकसान हो रहा है।
निगम के ताजा रिकार्ड के अनुसार राजधानी में लगभग 3.25 लाख मकान हैं, जबकि पिछले साल यानी 2021-22 में केवल 1.95 लाख मकान वालों ने ही प्रॉपर्टी टैक्स अदा किया है। इनसे 225 करोड़ का संपत्ति कर वसूला गया है। बाकी लगभग 1.30 लाख मकान मालिकों से संपत्ति कर की वसूली ही नहीं हो पाई। प्रापर्टी अदा नहीं करने वालों का इतना बड़ा आंकड़ा सामने आने से निगम के अफसर भी हैरान हैं। अब ये पता लगाया जा रहा है कि आखिर इतने लोग टैक्स क्यों टैक्स अदा नहीं कर रहे हैं।
इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब निगम ने सभी मकानों के संपत्ति कर के भुगतान के लिए ऑनलाइन सिस्टम बनवाया। इसके लिए पिछले साल रायपुर स्मार्ट सिटी और इंडसइंड बैंक के बीच एग्रीमेंट हुआ। इस कंपनी को सभी मकानों की ऑनलाइन इंट्री के साथ ही हर घर में जाकर एक नंबर प्लेट लगानी थी। इस नंबर प्लेट में हर मकान को एक यूनिक आईडी दी गई है। करीब 10 महीने पहले एक-एक घर में यूनिक नंबर की प्लेट लगाने का काम शुरू किया गया। इस नंबर को ऑनलाइन दर्ज करते ही मकान से संबंधित सभी जानकारी स्क्रीन पर डिस्पले हो जाती है। कंपनी के सर्वे के बाद जब यूनिक आईडी जनरेट हुई तब मकानों की संख्या 1.95 लाख से बढ़कर सीधे 3.25 लाख से ज्यादा पहुंच गई। फिलहाल अनुमान लगाया जा रहा है कि करीब छह-सात साल से 1.30 लाख लोग निगम को टैक्स ही नहीं दे रहे है।
- 40 हजार से ज्यादा मकान मालिक ऐसे जिन्होंने घर तो बना लिया, लेकिन निगम को टैक्स देना ही शुरू नहीं किया
- यूनिक आईडी बनाने निगम की टीम स्पॉट पर पहुंची तो पता चला दो साल पहले खाली प्लॉट था, मकान बनाया पर निगम को नहीं दी सूचना
एक-एक घर के सर्वे से सामने आया सच
शहर के सभी 70 वार्डों के एक-एक घर का यूनिक आईडी नंबर बनाने के लिए सर्वे किया गया। इस दौरान पता चला कि पिछले दो से पांच के दौरान करीब 40 हजार लोगों ने मकान बना लिए, लेकिन निगम में अपना नाम नहीं चढ़ाया। इस वजह से निगम को पता ही नहीं चला कि शहर में मकानों की संख्या बढ़ गई है। निगम में नामांतरण नहीं होने की वजह से इसकी ऑनलाइन इंट्री भी नहीं हो पाई है। निगम ने दो साल पहले ही पूरा सिस्टम ऑनलाइन किया है। इसी सिस्टम में सभी मकानों की इंट्री ऑनलाइन की गई। ऑनलाइन इंट्री और जो यूनिक आईडी जनरेट की गई उसके बाद ही पता चला कि सवा लाख से ज्यादा लोग मकानों का टैक्स नहीं दे रहे हैं।
अब वसूली करने सभी को डिमांड नोट भेजेंगे
जिन लोगों ने मकान बनाने के बाद अभी तक निगम को टैक्स नहीं दिया है ऐसे सभी लोगों की पहचान होने के बाद उन पर सख्ती शुरू की जा रही है। निगम कमिश्नर ने सभी 10 जोन कमिश्नरों से कहा कि वे अपने-अपने क्षेत्र के ऐसे टैक्स बकायादारों की सूची तैयार कर उन्हें डिमांड नोट भेजे। इसके लिए सभी राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाए। अभी 2022-23 के संपत्ति कर की वसूली लगभग पूरी हो गई है। इसलिए 2023-24 के लिए अभी से बकायादारों से वसूली शुरू कर दी जाए। खासतौर पर उन मकान मालिकों से जिन्होंने अभी तक अपने मकानों की इंट्री निगम में नहीं कराई थी। लोगों के घरों तक डिमांड नोट पहुंचाने के बाद उनसे कहा जाए कि वे तुरंत इसका भुगतान करें।
यूनिक आईडी में भी कई तरह की खामियां
जिन मकानों को यूनिक आईडी नंबर दी गई है उसमें भी कई तरह की गड़बिड़यां सामने आ रही हैं। खासतौर पर हजारों लोगों के घरों के पते ही बदल गए हैं। यूनिक आईडी को स्क्रीन पर डालते ही घर का एड्रेस दूसरे वार्ड में दिखाई देता है। निगम अफसरों का कहना है कि जल्द ही इन खामियों को दूर कर लिया जाएगा। इसके अलावा जिन लोगों के एड्रेस गलत दिखाई दे रहे हैं वे संबंधित जोन दफ्तरों में जाकर गलतियां दूर करवा सकते हैं। अभी इस यूनिक नंबर से लोगों को संपत्ति कर का भुगतान करने समेत नल कनेक्शन, नामांतरण, भवन लाइसेंस, नियमितीकरण, पुलिस, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड समेत 26 जरूरी सेवाओं की सुविधा देने का दावा किया जा रहा है।
सीधी बात मयंक चतुर्वेदी, कमिश्नर नगर निगम रायपुर
- सवाल- सवा लाख लोग संपत्ति कर नहीं दे रहे क्यों?
- जवाब- यूनिक आईडी बनाने से पता चला। इस साल वसूली करेंगे।
- सवाल- यूनिक आईडी में हजारों लोगों के पते गलत हैं क्यों?
- जवाब- तकनीकी त्रुटि है। लोग जोन दफ्तरों में सुधरवा सकते हैं।
- सवाल- पांच साल पहले मकान बने, निगम को पता क्यों नहीं चला?
- जवाब: समय-समय पर सर्वे किया जाता है। इसके बाद ही वास्तविक जानकारी मिलती है।