साल 1947 में अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों से तो देश आजाद हो गया, लेकिन स्वतंत्र भारत के कई ऐसे इलाके हैं, जिन्हें माओवादियों ने अपना गुलाम बना लिया। नक्सली कई मासूम बच्चों को जबरदस्ती घर से उठाकर अपने साथ ले गए। उनका बचपन छीना। पढ़ाई करने की उम्र में उन्हें बंदूक थमा दी। जबरदस्ती काली वर्दी पहनाई। मरना और मारना सिखाया।
जब भागने की कोशिश की तो परिवार को जान से मारने की धमकी दी। हालांकि, संगठन में रहते इन्हीं में से 2 मासूम जब धीरे-धीरे बड़े हुए तो नक्सलियों ने फिटनेस देखकर उन्हें अलग-अलग एरिया कमेटी का लीडर बना दिया। जवानों को मारने और सरकार विरोधी काम करने उनपर दबाव बनाया गया। मजबूरी भी थी, इसलिए अलग-अलग मुठभेड़ों शामिल हुए और 72 से ज्यादा जवानों की हत्या कर दी। संगठन में रहते दोनों को एक-दूजे से प्यार हुआ। शादी भी की।
दोनों एक-दूसरे की हिम्मत बने और नक्सलवाद की बेड़ियों को तोड़कर भाग निकले। साल 2021 में दंतेवाड़ा पहुंचकर सरेंडर कर दिया। पुलिस की सूची में दोनों खूंखार नक्सली थे। इन दोनों पर 5-5 लाख रुपए का इनाम था। हालांकि, अब ये सरेंडर नक्सली कपल खाकी वर्दी पहनते हैं। दिल में देशभक्ति की भावना लिए साथ ड्यूटी पर जाते हैं।