कोरबा जिले के पाली तानाखार से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तुलेश्वर सिंह मरकाम चुनाव लड़ेंगे। वहीं मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (MCB) जिले के भरतपुर सोनहत से श्याम सिंह मरकाम गोंगपा प्रत्याशी होंगे। तुलेश्वर सिंह मरकाम गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक हीरा सिंह मरकाम के बेटे हैं।
तुलेश्वर सिंह मरकाम ने बसपा और प्रदेश के एक क्षेत्रीय दल से गठबंधन की बात कही है। कोरबा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सीटों में गोंडवाना का खासा प्रभाव है। भरतपुर सोनहत विधानसभा सीट पर गोंडवाना का जनाधार लगातार बढ़ा है। 2013 के विधानसभा चुनाव में भरतपुर सोनहत में गोंगपा को 18,000 वोट मिले थे। इसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 27,000 वोट मिले थे।
पार्टी ने 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए यहां अपने प्रत्याशी के तौर पर श्याम सिंह मरकाम के नाम की घोषणा कर दी है। मनेंद्रगढ़ विधानसभा में जहां कांग्रेस-बीजेपी की सीधी टक्कर होती है, वहां गोंगपा भी हर बार अपने प्रत्याशी उतारती है और चुनाव दर चुनाव उसके वोट परसेंटेज में इजाफा हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि वो बीजेपी-कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे सकती है।
मनेंद्रगढ़ विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण
मनेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र में जायसवाल, बनिया, उरांव, केवट, कायस्थ, गुप्ता, आदिवासी, विश्वकर्मा, ब्राह्मण, गोंड, राजपूत, उरांव समेत सभी जाति के लोग रहते हैं। यहां सिखों और मुस्लिमों की संख्या भी अच्छी खासी है, हालांकि सबसे ज्यादा वोटर्स सामान्य वर्ग के हैं।
मनेंद्रगढ़ विधानसभा के बारे में जानिए
मनेंद्रगढ़ विधानसभा कोरबा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। इस क्षेत्र में काफी कोल माइंस हैं, लेकिन मनेंद्रगढ़ विधानसभा का आधा हिस्सा चिरमिरी क्षेत्र में आता है। मनेंद्रगढ़ विधानसभा सीट पर 1 लाख 32 हजार 783 मतदाता हैं। इनमें से 68 हजार 106 पुरुष और 64 हजार 675 महिलाएं हैं। एक हजार के करीब दिव्यांग और 2 थर्ड जेंडर के वोटर भी हैं। 1961 से 1977 तक मनेंद्रगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा, जबकि 1977 में हुए चुनाव में इस सीट पर जयप्रकाश नारायण की पार्टी JNP के राम सिंह ने पहली बार कांग्रेस को इस सीट पर हराया।
अविभाजित मध्यप्रदेश में इस सीट पर पहली बार बीजेपी ने 1990 पर जीत दर्द की। उस समय बीजेपी के चंद्र प्रकाश सिंह ने साढ़े 19 हजार वोट से कांग्रेस प्रत्याशी विजय सिंह को हराया था। लेकिन अगले चुनाव में बीजेपी यहां से चुनाव हार गई। 1993 और 1998 के चुनाव में बीजेपी को हार मिली।
2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली जीत
साल 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2003 में हुए चुनाव में पहली बार कांग्रेस के गुलाब सिंह को जीत मिली लेकिन 2008 में बीजेपी प्रत्याशी दीपक पटेल और 2013 में बीजेपी के श्यामबिहारी जायसवाल विजयी रहे।