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सर्दी-खांसी की दवाईयां भी बन सकती है डोपिंग का कारण….NADA ने खिलाड़ियों के लिए तैयार किया – ‘नो योर मेडिसिन एप’

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कई बार सर्दी, खांसी और जुकाम में ली जाने वाली जनरल दवाइयां भी खिलाड़ियों के लिए डोपिंग का कारण बन जाती है। ऐसे में बीमार होने पर लेने वाली दवाओं को लेकर सावधानी बरतने की सलाह NADA यानी नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी के अधिकारियों ने दी। उन्होंने बताया कि करीब 400 ऐसी मेडिसिन है, जो डोपिंग के अंतर्गत आती है और खिलाड़ियों को अवेयर करने के लिए ‘नो योर मेडिसिन एप’ तैयार किया गया है।

राजधानी के कोटा स्टेडियम में हुई जागरूकता सेमिनार में रायपुर के 300 से ज्यादा खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया लिया। नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी की ओर से इस सेमिनार का आयोजन कराया गया। जिसमें नाडा के डोप कंट्रोल ऑफिसर मनोज कुमार और विकास त्यागी ने खिलाड़ियों को डो​पिंग से जुड़ी जानकारी दी। साथ ही खेल के दौरान चोट लगने और बीमार पड़ने पर ली जाने वाली दवाइयों के सही इस्तेमाल के बारे में बताया गया।
डोप कंट्रोल ऑफिसर मनोज कुमार ने दैनिक भास्कर को बताया कि आमतौर पर खांसी होने पर हम कोई भी कफ सिरप लेते हैं लेकिन कई ऐसे भी सिरप होते हैं जिनमें परफॉर्मेंस को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं,जो डोपिंग की कैटेगरी में आते हैं। ऐसे में अगर डॉक्टर को आपके खिलाड़ी होने की जानकारी नहीं है या खिलाड़ी खुद इस बारे में अवेयर नहीं है,तब वे डोपिंग में पॉजिटिव पाए जा सकते हैं। जिसका सीधा असर उनके करियर पर पड़ सकता है।

खिलाड़ियों को जानकारी देने के लिए तैयार किया गया खास एप
सही दवाइयों की जानकारी के लिए NADA ने ‘नो योर मेडिसिन एप’ लांच किया है और इस एप को इंस्टॉल करे करन के लिए खिलाड़ियों को कहा जा रहा है। डोप कंट्रोल ऑफिसर मनोज कुमार के मुताबिक 400 मेडिसिन को वर्ल्ड डोपिंग एजेंसी ने खिलाड़ियों के लिए बैन किया है।

इसके लिए NADA का एप KYM में इन सभी दवाईयों की सूची है। क्योंकि गांव और छोटे शहरों में रहने वाले खिलाड़ियों को ये पता ही नहीं रहता कि कौन सी दवा डोपिंग के अंतर्गत आती है और जानकारी के अभाव में कई बार ऐसी दवा का सेवन करने से उसकी सालों की मेहनत खराब हो जाती है। इसलिए इस ऐप के जरिए उन दवाओं के बारे में जाना जा सकता है और डॉक्टर्स को वो लिस्ट दिखाकर दूसरे कॉम्पोनेंट्स वाली दवाइयां ली जा सकती है।
अगर खिलाड़ी को उसी फॉर्मूले वाली दवा की जरूरत बीमार पड़ने पर होती है, तब उस दवा को लेने के लिए TU यानी थेरेपी यूज एग्जेम्पशन फॉर्म आता है। जिसके बाद एप के जरिए सीधे NADA को डॉक्टर्स को प्रिस्क्रिप्शन भेजी जाती है और फिर वहां से डॉक्टरों की टीम खिलाड़ियों के लिए दवा तय करती है ताकी भविष्य में खिलाड़ी को कोई दिक्कत ना आए। जानकारों ने बताया कि देश में डोपिंग टेस्ट सेंटर केवल एक ही हैं। लेकिन नाडा के लगभग 150 विशेषज्ञ देश के अलग-अलग राज्यों में स्पोर्ट्स एथॉरिटी ऑफ इंडिया के माध्यम से एंटी डोपिंग प्रोग्राम चलाकर खिलाड़ियों को जागरूक कर रहे हैं।

इस तरह होता है डोपिंग टेस्ट
स्टेमिना बढ़ाने वाली दवाओं के इस्तेमाल को पकड़ने के लिए डोप टेस्ट किया जाता है। नियमों के मुताबिक किसी भी खिलाड़ी का डोप टेस्ट लिया जा सकता है। ये टेस्ट NADA यानी नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी या फिर WADA यानी वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी की तरफ से कराए जाते हैं।

इसमें खिलाड़ियों के यूरिन को वाडा या नाडा की खास लैब में टेस्ट किया जाता है।
पहले चरण को A और दूसरे चरण को B कहते हैं। A पॉजिटिव पाए जाने पर खिलाड़ी को प्रतिबंधित कर दिया जाता है। अगर खिलाड़ी चाहे तो एंटी डोपिंग पैनल से B-टेस्ट सैंपल के लिए अपील कर सकता है। खिलाड़ी B-टेस्ट सैंपल में भी पॉजिटिव आ जाए तो उस सम्बन्धित खिलाड़ी पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।

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