कांकेर जिले में हड़ताली स्वास्थ्यकर्मियों पर जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला ने 568 स्वास्थ्यकर्मियों को बर्खास्त कर दिया है। कलेक्टर ने एस्मा एक्ट के तहत ये कार्रवाई की है।
बता दें कि 21 अगस्त से स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल शुरू की थी। जिसके बाद से जिले भर में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित थीं। इसे लेकर जिला प्रशासन ने 25 और 28 अगस्त को दो बार हड़ताली कर्मचारियों को नोटिस जारी किया था, लेकिन इसके बाद भी हड़ताल खत्म नहीं हुई।
जिसके बाद कलेक्टर ने कड़ा रुख अपनाते हुए 568 कर्मचारियों की बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारी जुलाई में हड़ताल पर थे, लेकिन शासन से चर्चा के बाद हड़ताल समाप्त कर दी गई थी। हालांकि स्वास्थ्यकर्मियों के कुछ संगठन हड़ताल खत्म करने को लेकर सहमत नहीं थे और उन्होंने फिर से हड़ताल शुरू कर दी थी।
इसे लेकर प्रशासन ने एस्मा एक्ट के तहत बर्खास्तगी की बड़ी कार्रवाई की है। कलेक्टर प्रियंका शुक्ला ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
ये थी प्रमुख मांगें
स्वास्थ्य कर्मियों की प्रमुख मांगों में वेतन विसंगति में सुधार, लंबित वेतनमान, कोरोना भत्ता शामिल था। शासन से चर्चा के बाद स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल से वापस लौट आए थे, लेकिन एक समूह हड़ताल से वापस लौटने को सहमत नहीं था, जिन पर एक्शन लिया गया है।
एस्मा के बारे में जानिए
एस्मा (Essential Services Management Act) हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है। एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्य दूसरे माध्यम से सूचित किया जाता है। एस्मा अधिकतम 6 महीने के लिए लगाया जा सकता है और इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है, तो वह अवैध और दंडनीय है।
सरकारें एस्मा लगाने का फैसला इसलिए करती हैं, क्योंकि हड़ताल से लोगों के लिए आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका होती है। जबकि आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून यानी एस्मा वह कानून है, जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिए लागू किया जाता है।