अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में अब रिसर्च होगा कि रायपुर में क्यों और किस इलाके में ज्यादा डेंगू फैल रहा है। इसके लिए एम्स के पीएसएम डिपार्टमेंट ने ऐपेडेमिक रिसर्च टीम बनायी है। ये टीम वहां सर्वे के लिए जाएगी, जहां डेंगू के ज्यादा मरीज मिल रहे हैं। मरीजों में कौन सा वायरस मिल रहा है?
स्वास्थ्य विभाग और एम्स के पीएसएम डिपार्टमेंट में रिसर्च को लेकर सहमति हो गई है। पीएसएम डिपार्टमेंट की एचओडी डा. मनीषा रुईया और उनकी टीम ने रिसर्च की जिम्मेदारी ली है। उनकी टीम हर उस इलाके में सर्वे करने पहुंचेगी जहां डेंगू के मरीज मिल रहे हैं। वहां एक-एक मरीज की हिस्ट्री चेक की जाएगी कि वे पीड़ित होने के पहले कहां-कहां गए थे? कौन-कौन उनके संपर्क में आया?
मरीज जहां मिल रहे हैं उस इलाके की क्या स्थिति है। वहां कहीं पानी तो इकट्ठा नहीं हो रहा है। महामारी पर रिसर्च के उद्देश्य से ही एम्स में डेंगू का वार्ड अलग बना दिया गया है। राज्य महामारी नियंत्रण प्रभारी डा. सुभाष मिश्रा ने बताया कि रायपुर और दुर्ग के मलेरिया प्रभारियों को एम्स की टीम से समन्वय बनाने को कहा गया है।
वार्डों में हो रहा एंटी लार्वा का छिड़काव : डेंगू को फैलने से रोकने के लिए शहरभर में एंटी लार्वा का छिड़काव किया जा रहा है। वार्डों में सफाई का काम भी तेज कर दिया गया है। कूलरों की सफाई के साथ ही जहां पानी जमा दिख रहा है उसे साफ किया जा रहा है। मौदहापारा, कुंदरापारा उत्कल बस्ती, अरविंद नगर, देवेंद्रनगर समेत कई जगहों पर एंटी लार्वा का छिड़काव किया गया। निगम सभापति प्रमोद दुबे ने बताया कि जोन के सभी क्षेत्रों में डेंगू रोकने व्यापक उपाय किए जा रहे हैं।
लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है। उनसे अपील की जा रही है कि वे घरों के विंडो कूलरों से तत्काल पानी खाली कर दें। मनी प्लांट समेत किसी भी पौधे, गमले, टायरों, टूटे हुए बर्तनों या किसी भी वस्तु में पानी का जमाव न होने दें।
पानी का कहीं भी जमाव दिखे तो उसे तुरंत खाली कराएं। जहां गंदगी फैल रही है या सफाई कर्मचारी नहीं पहुंच रहे हैं तो लोग इसकी सूचना संबंधित वार्ड के पार्षद के साथ ही जोन दफ्तर में भी दे सकते हैं। ऐसी जगहों पर तुरंत सफाई कराई जाएगी। इधर दूसरी ओर जिला अस्पताल में डेंगू के मरीजों के लिए अलग वार्ड बना दिया गया है। उनके इलाज के लिए डॉक्टरों को भी अलर्ट रहने कहा गया है।
डेंगू के क्लेम में खेल, जांच में लीपापोती, नहीं मांगा जवाब
स्वास्थ्य विभाग ने अब डेंगू के इलाज में आयुष्मान और डा. खूबचंद बघेल योजना के तहत फ्री इलाज को लेकर शक के दायरे में आए लालमती सहित अन्य अस्पतालों की जांच में लीपापोती की जा रही है। लालमती अस्पताल ने 14 डेंगू मरीजों के इलाज का क्लेम किया है, लेकिन जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम को एक भी मरीज नहीं मिला था।
अस्पताल प्रबंधन की ओर से जो फाइल दिखाई गई, उसमें एक भी मरीज की फाइल में डेंगू के लक्षण का जिक्र नहीं था। यहां तक कि उन्हें जो ट्रीटमेंट दिया गया था, वह भी डेंगू का नहीं था। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई कार्रवाई अब तक नहीं की गई है। यहां तक जवाब तक नहीं मांगा गया है।