सरकार की सख्ती के बाद भी बिलासपुर में अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर अड़े स्वास्थ्य विभाग के 205 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है। 21 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे कर्मचारियों पर एस्मा लागू किया गया और उन्हें दो बार नोटिस देकर चेतावनी दी गई। इसके बाद भी काम पर नहीं लौटने की वजह से कलेक्टर के निर्देश पर सीएमएचओ ने बर्खास्त करने का आदेश जारी किया है।
स्वास्थ्य फेडरेशन ने 21 अगस्त से अपनी लंबित मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की थी। पांच सूत्रीय मांगों में स्वास्थ्य विभाग के एएनएम, एमपीडब्ल्यू, नर्सिंग संवर्ग कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने, चिकित्सकों के लंबित वेतनमान।
भत्ते एवं स्टाइपेंड प्रदान करने, मुख्यमंत्री की ओर से घोषित विशेष कोरोना भत्ता देने, अस्पताल में काम के दौरान चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाफ के साथ होने वाली हिंसा पर रोक लगाने जैसी मांगे शामिल हैं। कर्मचारी संघ के बैनर तले चल रहे हड़ताल पर कर्मचारी डटे हुए हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है असर
कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। जिले के ग्रामीण क्षेत्र स्थित स्वास्थ्य केंद्र में इलाज पूरी तरह से ठप है। ऐसे में हड़ताली स्वास्थ्य कर्मियों के कारण स्वास्थ्य सेवाओं में पड़ रहे प्रभाव को देखते हुए राज्य शासन ने एस्मा लागू किया था, जिसका कर्मचारियों पर कोई असर नहीं हुआ।
जिला प्रशासन ने दो बार नोटिस जारी कर उन्हें काम पर लौटने की चेतावनी दी थी। बावजूद इसके कर्मचारी काम पर लौटने के बजाए हड़ताल पर डटे रहे। इस पर कलेक्टर संजीव कुमार झा के निर्देश पर सीएमएचओ ने जिले के 205 कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है।
सीएमएचओ बोले- शासन के निर्देश पर हुई कार्रवाई
सीएमएचओ डॉ. राजेश शुक्ला का कहना है कि स्वास्थ्य सेवा बेहद आवश्यक सेवा में से एक है। इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाएगी। यही वजह है कि राज्य शासन ने एस्मा लागू कर कर्मचारियों को काम पर लौटने की चेतावनी दी थी।