पिछले विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा नहीं करने पर स्थानीय अधिवक्ता अशोक शर्मा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत उन 13 कांग्रेस नेताओं के खिलाफ दुर्ग के न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी पुनीतराम गुरुपंच की कोर्ट में परिवाद दायर किया है, जो घोषणापत्र समिति में शामिल थे।
इनमें मंत्री टीएस सिंहदेव, मोहम्मद अकबर, रविंद्र चौबे, शिवकुमार डहरिया, उमेश पटेल, डा. प्रेमसिंह टेकाम, धनेंद्र साहू, फूलो देवी नेताम, शैलेष पांडेय, अरुण वोरा, शिशुपाल शोरी और जयराम रमेश शामिल हैं। शर्मा ने सभी के विरुद्ध छल (धारा 415), धोखाधड़ी (धारा 420), षड़्यंत्र (धारा 120 बी) और समान आशय (धारा 34) के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थाने को निर्देशित करने का निवेदन किया है। 25 सितंबर को न्यायालय में इस परिवाद पर सुनवाई होनी है, जिसमें याचिकाकर्ता अपना तर्क प्रस्तुत करेंगे। संतुष्ट होने पर कोर्ट प्राथमिकी का निर्देश दे सकता है। याचिका खारिज हुई तो शर्मा सत्र न्यायालय जाएंगे।
अधिवक्ता शर्मा ने परिवाद में आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में राज्य में पूर्ण शराबबंदी, छात्राओं को नर्सरी से पोस्ट ग्रेजुएट तक निश्शुल्क शिक्षा देने, 10 लाख बेरोजगार युवाओं को सामुदायिक विकास और समाजसेवी गतिविधियों में भाग लेने पर न्यूनतम प्रतिमाह 2,500 रुपये देने, शिक्षाकर्मियों को दो वर्ष पूर्ण करने पर नियमित करने का वादा किया गया।
शर्मा ने बताया कि मंत्री टीएस सिंहदेव घोषणापत्र समिति के संयोजक थे। मोहम्मद अकबर, रविंद्र चौबे, शिवकुमार डहरिया, उमेश पटेल, डा. प्रेमसिंह टेकाम, धनेंद्र साहू, फूलो देवी नेताम, शैलेष पांडेय और अरुण वोरा समिति के सदस्य थे। राहुल गांधी और जयराम रमेश ने इस घोषणापत्र को प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया में प्रसारित करने का षड्यंत्र किया था। इसलिए इन्हें भी पार्टी बनाया गया है।