छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने निवास कार्यालय से विडियों कांफ्रेसिंग के माध्यम से 141 करोड़ रूपए की लागत से बना छत्तीसगढ़ का पहला गन्ना आधारित एथेनॉल प्लांट का लोकार्पण किया. लोकार्पण के अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर विशेष रूप से उपस्थित थे. राज्य शासन द्वारा कबीरधाम जिले में प्रदेश का गन्ना आधारित सबसे बड़ा और पहला एथनॉल प्लांट की स्थापना की गई है. एथनॉल प्लांट की स्थापना भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना की खाली भूखंड की 35 एकड़ भूमि में निर्माण किया गया है. आपको बता दे कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कृषि पर आधारित इथेनॉल उद्योग ड्रीम प्रोजेक्ट है.
पी.पी.पी. मॉडल से इथेनॉल प्लांट की स्थापना का पूरे देश में यह पहला
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कृषि पर आधारित इथेनाल प्लांट प्राथमिकता वाली योजनाओं में है. पीपीपी मॉडल से स्थापित देश के पहले इथेनॉल प्लांट की स्थापना के संबंध में अनुबंध भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाने तथा छत्तीसगढ़ डिस्टीलरी लिमिटेड की सहायक इकाई एन.के.जे. बॉयोफ्यूल लिमिटेड के मध्य किया गया है. इथेनॉल संयंत्र की स्थापना से क्षेत्र में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे तथा क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि का आधार मजबूत होगा. किसानों को गन्ना मूल्य का समय पर भुगतान सुनिश्चित होगा.
इथेनॉल उद्योग से जिले के हजारों गन्ना उत्पादक किसानों को मिलेगा लाभ
भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना के एमडी भूपेन्द्र ठाकुर ने बताया कि इथेनाल प्लांट हाईब्रीड टेक्नालाजी से है, जिसमें गन्ना पेराई सीजन के दौरान सीधे गन्ने के जूस से तथा आफ सीजन के दौरान मोलासीस से इथेनाल बनाया जाएगा. गन्ने के रस को इथेनाल में डायवर्ड करने के कारण अधिक जूस की जरूरत पडे़गी उसकी पूर्ति के लिए किसानों से अधिक से अधिक गन्ना क्रय किया जाएगा. इथेनाल प्लांट के निर्माण से किसानों को गन्ने के मूल्य का भुगतान समय पर सुनिश्चित हो सकेगा.
भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाने में पी.पी.पी. मॉडल से इथेनॉल प्लांट
आर्थिक परिवेश को ध्यान में रखते हुए राज्य की अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र की आर्थिक एवं तकनीकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पी.पी.पी. मॉडल का चयन किया गया. राज्य शासन के निर्णय के पालन में प्रथम चरण में भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाने में पी.पी.पी. मॉडल से इथेनॉल प्लांट की स्थापना की गई है. भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा में न्यूनतम 80 के.एल.पी.डी. क्षमता के ईथेनॉल प्लांट की स्थापना के लिए देश का पीपीपी मॉडल से पहला उदाहरण होने के कारण निवेशक चयन के लिए प्रक्रिया के सूक्ष्म पहलूओं को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर निविदा सफलतापूर्वक पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से पूर्ण की गई.