अगर किसी विद्यालय की परिकल्पना करें, तो वहां चारदीवारी का भवन परिसर, खेल मैदान, ब्लैक या व्हाइट बोर्ड और चॉक की जरूरत नजर आती है. गौर करने वाली बात यह है कि अगर पढ़ाने वाले शिक्षक ही न हों, तो फिर भला इन सब सुविधाओं का बच्चे क्या करेंगे. कोरबा जिले के 18 सरकारी स्कूलों में यही दशा है, जहां शिक्षक ही नहीं हैं. इनमें 16 प्राथमिक व दो मिडिल स्कूल शामिल हैं. इतना ही नहीं, 339 स्कूल ऐसे हैं, जो एकल शिक्षकीय हैं और ऐसी दशा में बच्चों की शिक्षा-दीक्षा का हाल क्या होगा, समझना मुश्किल न होगा.
आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले को केंद्र शासन ने आकांक्षी जिलों में शामिल किया है. जहां शिक्षा, स्वास्थ्य व कृषि के पैरामीटर पर अभी भी बेहतर कार्य किए जाने की दरकार है. जिसे आकांक्षी जिले से बाहर लाने केंद्र व राज्य शासन के समन्वय के साथ विशेष कार्य योजना बनाकर कार्य किया जा रहा है. 110 आकांक्षी जिलों में पैरामीटर्स से जुड़े क्षेत्रों में कार्य करने व मॉनिटरिंग के लिए पानी की तरह रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में आकांक्षी जिला कोरबा की प्रारंभिक स्कूलों की स्थिति बेहद चिंताजनक है. अव्यवस्था ही हद तो यह है कि 16 प्राथमिक व 2 माध्यमिक समेत 18 सरकारी स्कूल शिक्षक विहीन हैं.
339 सरकारी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे
इनके अलावा 321 प्राथमिक व 17 माध्यमिक समेत 339 सरकारी स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं. अतिशेष शिक्षकों की जानकारी छुपाकर युक्तियुक्तकरण में असफल रहे शिक्षा विभाग की अदूरदशिर्ता के चलते इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अधर पर आता दिखाई दे रहा है. आंकड़ों की बात करें, इसने लचर शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है. शिक्षक विहीन प्राथमिक शालाओं में पोंडी उपरोड़ा ब्लाक से सर्वाधिक 12 विद्यालय शामिल हैं. इनमें प्राथमिक शाला में 11 व 1 माध्यमिक शाला शामिल हैं. कोरबा ब्लॉक के 4 प्राथमिक, कटघोरा ब्लॉक के एक प्राथमिक शाला व पाली ब्लॉक से 1 माध्यमिक शाला शिक्षकविहीन हैं.
बात करें एकल शिक्षकीय स्कूलों की तो यहां स्थिति अत्यंत निराशाजनक है. जिले में 339 स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे, इनमें 321 प्राथमिक शाला व 17 माध्यमिक शाला शामिल हैं. ब्लॉकवार आंकड़ों की बात करें तो सबसे लचर स्थिति पोंडी उपरोड़ा ब्लॉक की है. यहाँ 128 प्राथमिक व 14 माध्यमिक कुल 142 स्कूल एकल शिक्षकीय हैं. इसके बाद पाली का नंबर आता है, जहाँ 74 प्राथमिक व 2 माध्यमिक कुल 76 शाला एकल शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे. कोरबा में कुल 46 विद्यालय एकल शिक्षकीय हैं. इनमें 45 प्राथमिक शाला व 1 माध्यमिक शाला शामिल हैं. करतला व कटघोरा में 37-37 प्राथमिक शाला एक एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे. जहां बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है.
शिक्षा सत्र शुरू हुए गुजर चुके हैं तीन माह
शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय स्कूलों में व्यवस्था अंतर्गत संबंधित स्कूलों के अतिशेष व अन्य शिक्षकों से मौखिक आदेश पर अध्यापन कार्य कराया जा रहा है. ताकि स्कूलों में एकदम से तालाबंदी की स्थिति निर्मित न हो. अतिशेष शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया. डीएमएफ से भी 212 अतिथि शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव भेज दिया गया है. शिक्षा विभाग का कहना है कि आगामी एक सप्ताह के भीतर इसकी स्वीकृति मिल जाएगी और परेशानी दूर कर ली जाएगी. पर सवाल यह है कि शिक्षा सत्र शुरू हुए तीन माह गुजर चुके हैं और ऐसे में पहले स्वीकृति होगी और उसके बाद शिक्षक नियुक्ति करेंगे और तब तक कितना समय निकल चुका होगा, इसका अंदाजा भी लगाया जा सकता है.
इन स्कूलों में नहीं हैं शिक्षक
कोरबा जिले के 18 स्कूल शिक्षकविहीन हैं. इनमें 16 प्राथमिक व दो माध्यमिक स्कूल शामिल हैं. शिक्षकविहीन प्राथमिक शाला में पोंड़ी उपरोड़ा विकासखण्ड से धजाक, करमटिया रामपुर, मातिन, केरईहापारा, जामपानी, सेंदुरगार, कुदरी, सड़कपारा, अमलडीहा, धवलपुर, तिलईडांड शामिल हैं. कटघोरा विकासखण्ड से प्राथिमक शाला बरेलीमुड़ा व कोरबा ब्लॉक के प्राथमिक शाला बरपानी, सांचरबहार, खम्हुन व पेंड्रीडीह शामिल है. वहीं पोंड़ी उपरोड़ा विकासखण्ड के माध्यमिक शाला मेरई व पोंडी उपरोड़ा विकासखण्ड से माध्यमिक शाला उड़ान शिक्षकविहीन हैं.
212 अतिथि शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव
शिक्षकविहीन व एकल शिक्षकीय स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण करने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग ने स्कूल शिक्षा विभाग छग शासन को भेजा है. इसका अधिकारी डीईओ को नहीं होने की जानकारी सामने आ रही. वहीं डीएमएफ से भी 212 अतिथि शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव भेजा गया है. पर ये दोनों ही महत्त्वपूर्ण कार्य एक शासन तो दूसरा प्रशासन के पास लंबित है. पखवाड़े भर के भीतर विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी ऐसे में यह कार्य लटकती नजर आ रही है. कक्षा आठवीं तक बच्चों का सतत व समग्र मूल्यांकन लेकर उत्तीर्ण करना ही है लेकिन जब नींव ही कमजोर रहेगी तो इमारत कैसे मजबूत होगी जैसी कहावत चरितार्थ होगी. दसवीं बोर्ड में बच्चों की शिक्षा का सही आकलन होगा. पिछले कुछ सालों से गिरता परीक्षा परिणाम इसे बयां करने में काफी है.
जिला शिक्षा अधिकारी जीपी भारद्वाज ने कहा अतिशेष शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है. इसके अलावा डीएमएफ से भी 212 अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति का प्रस्ताव भी प्रशासन के पास भेजा गया है, जिसकी मंजूरी एक सप्ताह में मिल जाने की उम्मीद है.