केंद्र सरकार ने बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य (Basmati Rice MEP) को 1,200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन कर दिया है. सरकार ने बासमती चावल की अधिक एमईपी के कारण इसका निर्यात प्रभावित होने की चिंताओं को देखते हुए यह निर्णय लिया है. न्यूनतम निर्यात मूल्य में कटौती की मांग को लेकर पिछले दिनों हरियाणा और पंजाब की मंडियों में बासमती चावल एक्सपोटर्स और मिल मालिकों ने हड़ताल की थी. हड़ताल की वजह से बासमती धान की विभिन्न किस्मों के भाव गिर गए थे. सरकार के एमईपी कम करने के आश्वासन के बाद हड़ताल खत्म हुई थी.
न्यूज एजेंसी भाषा ने जानकारी दी है कि कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) को भेजे एक पत्र में वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि बासमती चावल के निर्यात के लिए अनुबंध पंजीकरण के लिए मूल्य सीमा को 1,200 डॉलर प्रति टन से संशोधित कर 950 डॉलर प्रति टन करने का निर्णय लिया गया है. इसके साथ ही एपीडा को केवल उन्हीं अनुबंधों को पंजीकृत करने का निर्देश दिया गया है जिनका मूल्य 950 डॉलर प्रति टन और उससे अधिक है.
अगस्त में लगाया था एमईपी
सरकार ने 27 अगस्त को प्रीमियम बासमती चावल की आड़ में सफेद गैर-बासमती चावल के ‘अवैध’ निर्यात पर रोक लगाने के लिए 1,200 डॉलर प्रति टन से कम मूल्य वाले बासमती चावल के निर्यात की अनुमति नहीं देने का फैसला किया था. चावल निर्यातक संघ पिछले दो महीनों से इस आधार मूल्य में कटौती की मांग कर रहे थे. उनका कहना था कि पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण भारत अपना निर्यात बाजार खो रहा है. उनका यह तर्क भी रहा है कि पिछले दो-तीन वर्षों में भारत की औसत निर्यात प्राप्ति 800-900 डॉलर प्रति टन रही है.