छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के साथ ही नगरीय निकायों में भी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच विवाद उभरते नजर आ रहे हैं. राजधानी रायपुर के बाद आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर संभाग के एक मात्र जगदलपुर नगर निगम में भी महापौर और निगम की सभापति कविता साहू के खिलाफ बीजेपी के पार्षद दल ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. बस्तर कलेक्टर से निगम अंतर्गत हुए सभी निर्माण कार्यों की जांच की मांग की है. इस मामले में जगदलपुर नगर निगम के अंतर्गत किए गए निर्माण कार्यों की समीक्षा भी की जा रही है. समीक्षा के दौरान नगर निगम से निगम की महापौर निधि की फाइल ही गायब हो गई है जो फाइल सवा करोड़ रुपए लागत की है. ऐसे में निगम के निर्माण कार्यों की लापरवाही पर सवाल उठ रहे हैं कि निर्माण कार्यो में भारी भ्रष्टाचार हुआ है.
7 दिनों के अंदर इंजीनियर से आयुक्त ने मांगा जवाब
जगदलपुर नगर निगम के आयुक्त हरेश मंडावी ने बताया कि निर्माण कार्यों की समीक्षा की जा रही है. समीक्षा में पार्षद निधि, अन्य निधि और महापौर निधि की समीक्षा की गई. महापौर निधि की समीक्षा से संबंधित इंजीनियर ने बताया कि कुछ निर्माण कार्यो के दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए हैं. इस मामले में जब पुराने इंजीनियर से फाइल मांगी गई तब उन्होंने कहा कि कुछ फाइल उनके पास हैं और कुछ नहीं हैं, जिस पर आयुक्त ने इंजीनियर को नोटिस जारी किया है और फाइल गायब होने को लेकर 7 दिनों के अंदर जवाब मांगा है. 7 दिनों के अंदर संतुष्टिजनक जवाब नहीं देने पर कार्रवाई करने की बात कही गई है.
आयुक्त का कहना है कि महापौर निधि से पिछले कार्यकाल में हुए सभी निर्माण कार्यों की फाइल इंजीनियर से मांगी गई हैं. हालांकि कुछ फाइल इंजीनियर ने दी हैं, लेकिन कई फाइल गायब हैं. इन फाइलों के गायब होने पर इंजीनियर द्वारा संतुष्टिजनक जवाब नहीं दिया जा रहा है. इस वजह से 7 दिनों के अंदर पिछले कार्यकाल के सभी फाइल इंजीनियर से मांगी गई है और अगर फाइल प्राप्त नहीं होती हैं तो निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी.
‘BJP पार्षदो ने महापौर पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप’
गौरतलब है कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद जगदलपुर नगर निगम में भी बीजेपी पार्षदों ने निगम की महापौर सफिरा साहू और निगम अध्यक्ष कविता साहू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने बीते 5 साल में निगम के द्वारा शहर के विकास कार्यो और निर्माण कार्यो में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है. वही अब महापौर निधि के तहत होने वाले विकास कार्यों की कई फाइलें गायब होने से मुद्दे ने राजनीति रंग ले लिया है. वहीं बीजेपी पार्षद दल फाइल गायब होने के पीछे महापौर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं.