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बस्तर में नक्सलियों का घट रहा जनाधार, आईजी बोले- ‘अपनी अंतिम लड़ाई लड़ रहे नक्सली, जल्द होगा खात्मा’

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बीते 4 दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहे छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों से निर्णायक मोड़ पर लड़ाई लड़ने का दावा बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने किया है. बत्रा जी का कहना है कि अब बस्तर आने वाले कुछ सालों में पूरी तरह से नक्सली मुक्त होने वाला है जिस तरह से नक्सलियों का क्षेत्रफल घटता जा रहा है और बड़े कैडरों की विभिन्न बीमारियों से और जवानों के साथ हो रही मुठभेड़ में मौत हो रही है ऐसे में अब नक्सली अपनी अंतिम लड़ाई लड़ रहे हैं. पुलिस के प्रति ग्रामीण अंचलों में जनाधार बढ़ाने और नक्सलियों के प्रति जानदार घटने से अब नक्सली संगठन कमजोर पड़ गई है और नए कैडरों की और स्थानीय युवाओं की संगठन में भर्ती नहीं हो पाने के चलते नक्सली पूरी तरह से कमजोर हो गए हैं. बस्तर संभाग में करीब 60 से अधिक नए पुलिस कैंपों के खुलने से नक्सलियो का गढ़ कहे जाने वाला क्षेत्र अब सिमटते जा रहा है. आईजी का कहना है कि आने वाले कुछ सालों में नक्सलियों के सभी मांद में जवानों की पहुँच होने से जल्द से जल्द नक्सलवाद का खात्मा होने के साथ बस्तर नक्सल मुक्त होगा.

नक्सली संगठन में नये कैडरों की भर्ती हुई बंद

दरअसल बस्तर में चलाए जा रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन में अब सुरक्षा बल नक्सलियों के कोर इलाके में घुस रही है, जिसके चलते नक्सली काफी कमजोर हो गए है. बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने दावा किया है कि अब नक्सली से जो लड़ाई हो रही है वह लगभग अंतिम लड़ाई है. आईजी ने कहा कि नक्सलियों के बड़े लीडरों की मौत के बाद संगठन पूरी तरह से बिखरा हुआ है और दंडकारण्य क्षेत्र में कुछ बचे कुचे लीडर ही नक्सली संगठन को संभाल रहे हैं. अब ऐसे बचे लीडरों पर सुरक्षाबलों का टारगेट है, इसके अलावा सुरक्षा बलों के द्वारा लगातार की जा रही कार्रवाई से नक्सल संगठन में भर्ती भी बंद हो गई है और अब कोई भी स्थानीय युवा या नये कैडर नक्सलियों के संगठन में भर्ती नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते नक्सलियों में बौखलाहट बनी हुई है.

दो सालो में खोले गए 60 से ज्यादा पुलिस कैम्प

बस्तर आईजी ने यह भी कहा कि बस्तर संभाग में पिछले दो सालो में 60 से अधिक नये पुलिस कैम्प खोले गए है. नये कैंप के खुलने से नक्सलियों का जनाधार भी कम हुआ है. आईजी ने कहा कि कैम्प खुलने की वजह से अब अंदरूनी इलाकों में विकास पहुंचने और सड़कों का जाल बिछने से माओवादी अपना नया इलाका खोजने में लगे हुए हैं, और फोर्स अब नक्सलियों के कोर एरिया में घुसकर मुठभेड़ कर उनके कैंपों को ध्वस्त कर रही है. बीते सालभर में ही 10 से ज्यादा नक्सली कमांडर अलग अलग पुलिस नक्सली मुठभेड़ में मारे गए है, तो नक्सली संगठन में सेंट्रल कमेटी मेम्बर रहे रामकृष्ण, हरिभूषण राव जैसे नक्सली लीडरों की अलग अलग बीमारी से मौत हो गई है जिससे संगठन कमजोर हो गया है.

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