केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी 2024 को आम बजट पेश करेंगी. इस बजट से देश के अन्य राज्यों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तरवासी भी काफी उम्मीदें लगाए बैठे हैं. खासकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में ग्रामीण महिलाओं ने उम्मीद लगाई है कि इस साल के बजट में देश में बढ़ती महंगाई जरूर कम होगी. साथ ही खाने-पीने के समानों के साथ ही रसोई गैस के दाम भी कम होंगे. बस्तर में ग्रामीण क्षेत्रों के महिलाओं को उज्ज्वला योजना की सौगात तो मिली है, लेकिन बढ़ते सिलेंडर के दामों की वजह से सालों से उनके गैस सिलेंडर खाली पड़े हैं.
ग्रामीण महिलाएं सिलेंडर होने के बाद भी लकड़ी के चूल्हे का पर ही खाना बना रही हैं. ऐसे में इन महिलाओं को उम्मीद है कि इस बजट में रसोई गैस के दाम कम होंगे. साथ ही सबसे जरूरी दाल, चावल, तेल के साथ साथ आटा और खाने-पीने के अन्य सामानों के दामों में भी कमी आएगी. ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि सबसे ज्यादा महंगाई की मार उन्हें झेलनी पड़ रही है. पहले ही आमदनी कम है ऐसे में बढ़ती महंगाई ने उनकी कमर तोड़ दी है. ऐसे में अगर इस बजट में खाने-पीने की वस्तुओं के साथ रसोई गैस के दाम भी कम हुए, तो बस्तर की ग्रामीण महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी.
वनोपज के समर्थन मूल्यों में बढ़ोतरी की मांग
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर संभाग में अधिकांश ग्रामीण महिलाएं यहां पर मिलने वाले वनोपज पर ही निर्भर हैं. ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि उनके आय का मुख्य स्त्रोत यहां मिलने वाला वनोपज है. राष्ट्रीय बाजारों में इन वनोपज के अच्छे दाम मिलते हैं, लेकिन उन्हें मिलने वाली समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी नहीं होती है. राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार भी कई वनोपज में अपने समर्थन मूल्य तय करती है. ग्रामीण महिलाएं चाहती हैं कि इन समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की जाए, जिससे ग्रामीण महिलाओं को फायदा मिले. बस्तर के कोसा, काजू और महुआ के अलावा अन्य कई वनोपज हैं, जो ट्रायफेड के माध्यम से खरीदे जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों को मिलने वाले समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी नहीं की गई है.