प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देते हुए कांग्रेस और खास तौर पर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निशाना साधा. पीएम मोदी ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री इस देश के लोगों को आलसी समझते थे. पीएम मोदी ने जवाहरलाल नेहरू के एक भाषण का हवाला दिया, जो नेहरू ने लाल किले से दिया था. पीएम ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, हिंदुस्तान में काफी मेहनत करने की आदत आमतौर से नहीं है. हम इतना काम नहीं करते, जितना कि यूरोप वाले, या जापान वाले, चीन वाले, रूस वाले या अमेरिका वाले करते हैं. ये न समझिए कि वह कौमें कोई जादू से खुशहाल हो गईं, वो मेहनत से हुई हैं और अक्ल से हुई हैं.
इस बात का विश्लेषण जरूरी है कि पीएम मोदी ने आखिर इस भाषण का जिक्र क्यों किया है? इसके पीछे उनकी मंशा क्या है? आपको यह बताना जरूरी है की पीएम मोदी के विकास का मूलमंत्र क्या है. पीएम इस बात को जानते हैं कि लोगों में आत्मविश्वास और अलख जगाए बिना देश का विकास मुमकिन नहीं है. लोगों की मेहनत और लगन से देश आगे बढ़ता है. लोगों को आलसी और लोगों के आत्माविश्वास को डिगा कर कोई आगे नहीं बढ़ सकता है. यही वजह है कि पीएम देश के लोगो को हमेशा आत्मविश्वास और आत्मनिर्भर होने का मंत्र देते हैं.
अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी का कथन सटीक है कि ‘भारत का सामर्थ्य आज पूरे विश्व के विकास को दिशा दे रहा है. भारत में हो रही प्रगति का सबसे बड़ा कारण है- भारत का आत्मविश्वास, भारत के लोगों का आत्मविश्वास.’ पीएम ने कहा कि सैकड़ों वर्षों की गुलामी ने ये आत्मविश्वास हमसे छीन लिया था, आज जो नया भारत हमारे सामने है, उसमें वो आत्मविश्वास लौट आया है. ये वो भारत है, जिसे अपना रास्ता पता है, दिशा पता है. ये वो भारत है, जिसे अपने निर्णयों, अपने संकल्पों पर कोई कंफ्यूजन नहीं है. ये वो भारत है, जो अपने पोटेंशियल को परफॉर्मेंस में बदल रहा है.’
दरअसल, देश के इस नए आत्मविश्वास के पीछे की वजह महज खोखली राजनीतिक बयानबाजी नहीं है. इसके ठोस कारण हैं. जिस तरह से अलग अलग क्षेत्रों में भारत आत्मनिर्भर हुआ है, उसने ये ताकत दी है. न सिर्फ घरेलू मोर्चे पर भारत की उत्पादकता बढ़ी है बल्कि उसने कई क्षेत्रों में निर्यात भी शुरू किया है. अब से कुछ दशक पहले भारत हर छोटी बड़ी चीज के लिए दुनिया के उन देशों का भी मुंह ताकत रहा, जो किसी न किसी तरीके से अपना हित साधने के लिए तमाम अंतरराष्ट्रीय उठापटक के लिए जिम्मेदार होते थे. मोदी सरकार की नीतियों ने ऐसे देशों की ताकत वास्तव में कम की है और भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र के तौर पर विश्व पटल पर खड़ा किया है.