Home छत्तीसगढ़ वाणिज्य एवं उद्योग तथा श्रम विभाग की अनुदान मांगें पारित

वाणिज्य एवं उद्योग तथा श्रम विभाग की अनुदान मांगें पारित

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वाणिज्य एवं उद्योग तथा श्रम मंत्री श्री लखन लाल देवांगन के विभागों से संबंधित 773 करोड़ 28 लाख 42 हजार रूपए की अनुदान मांगें आज छत्तीसगढ़ विधानसभा में चर्चा के बाद पारित कर दी गई। इनमें वाणिज्य एवं उद्योग विभाग से संबंधित व्यय के लिए 530 करोड़ 29 लाख 69 हजार रूपए तथा श्रम विभाग के लिए 242 करोड़ 98 लाख 73 हजार रूपए की राशि शामिल है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगन ने अनुदान मांगों पर हुई चर्चा पर जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश की वर्तमान औद्योगिक नीति 31 अक्टूबर 2024 तक प्रचलन में है। राज्य की आवश्यकता के अनुरूप इसकी समीक्षा कर नई औद्योगिक नीति 2024-2029 जारी की जाएगी। नई नीति में राज्य में उपलब्ध कृषि उत्पादों, वनोपजों, खनिज सम्पदा एवं रोजगारमूलक उद्योगों की स्थापना को दृष्टिगत रखते हुए नये उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नई औद्योगिक नीति के लिए सभी हितधारकों के साथ बात करके तथा अन्य राज्यों की नीतियों का अध्ययन कर एक श्रेष्ठ नीति बनाएंगे, ताकि औद्योगिक विकास में तेजी आए और प्रदेश में रोजगार के नये अवसर सृजित हो सके।
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री श्री देवांगन ने सदन में बताया कि नये औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना के लिए 60 करोड़ रूपए, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को प्रोत्साहित करने पृथक औद्योगिक पार्क की स्थापना के लिए 50 करोड़ रूपए, लागत पूंजी अनुदान के लिए 200 करोड़ रूपए एवं ब्याज अनुदान के लिए 50 करोड़ रूपए का प्रावधान नए बजट में किया गया है। उन्होंने बताया कि युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए छत्तीसगढ़ उद्यम क्रांति योजना प्रारंभ की जाएगी। साथ ही प्रदेश में अत्याधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर से युक्त कोरबा-बिलासपुर इंडस्ट्रियल कोरिडोर के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग के निकट के क्षेत्रों में शासकीय भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जाएंगे। इसके लिए प्रारंभिक कार्ययोजना तैयार करने के लिए 5 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
श्री देवांगन ने सदन में अनुदान मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कोरबा जिले में एल्यूमिनियम पार्क की बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा करने के लिए आगामी बजट में आरंभिक तौर पर 5 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। वन संसाधनों से परिपूर्ण बस्तर और सरगुजा संभाग में लघु वनोपज आधारित प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना एवं छत्तीसगढ़ खाद्य प्रसंस्करण मिशन योजना के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सहायता अनुदान के लिए 13 करोड़ रूपए की राशि प्रावधानित है। उन्होंने बताया कि युवाओं में स्टार्ट-अप, इनोवेशन एवं रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर मंे सेंट्रल इन्स्टूमेंटेशन फैसिलिटी का उन्नयन किया जाएगा। इसके लिए 2 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री देवांगन ने सदन में कहा कि राज्य में औद्योगिक अधोसंरचना के विकास हेतु सड़क, पानी, बिजली इत्यादि के संधारण एवं नवीन परियोजनाओं के साथ ही नवा रायपुर में आईटी आधारित ‘‘प्लग एवं प्ले‘‘ मॉडल का विकास किया जाएगा। इसके लिए अधोसंरचना विकास उन्नयन कार्य अंतर्गत 35 करोड़ रूपए प्रावधानित है। उन्होंने कहा कि राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए इन्वेस्ट इंडिया की तर्ज पर इन्वेस्ट छत्तीसगढ़ सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इसके आयोजन के लिए प्रारंभिक तौर पर 5 करोड़ रूपए की राशि का प्रावधान किया गया है। छत्तीसगढ़ स्टार्ट-अप हब और नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग इकाईयां स्थापित करने एवं राज्य में एक समृद्ध नवाचार पारिस्थितिक तंत्र तैयार करने के लिए छत्तीसगढ़ स्टार्ट-अप समिट का भी आयोजन किया जाएगा।
श्रम मंत्री श्री लखन लाल देवांगन ने श्रम विभाग से जुड़ी अनुदान मांगों पर चर्चा के जवाब में बताया कि छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मण्डल के तहत अधिसूचित 56 प्रवर्ग के 17 लाख 54 हजार पंजीकृत असंगठित श्रमिकों के लिए विभिन्न योजनाओं हेतु आगामी बजट में 123 करोड़ 98 लाख रूपए से अधिक की राशि का प्रावधान किया गया है। अटल श्रम सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत असंगठित श्रमिकों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ एक स्थान में प्राप्त हो सके, इसके लिए शासन द्वारा श्रमेव जयते वेबपोर्टल बनाया जा रहा है। इसके लिए बजट में 2 करोड़ रूपए का प्रावधान रखा गया है। छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल के अंतर्गत पंजीकृत श्रमिकों के लिए वर्ष 2024-25 के बजट में 505 करोड़ रूपए से अधिक की राशि का व्यय प्रस्तावित है। औद्योगिक क्षेत्र के संगठित श्रमिकों के लिए छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मण्डल द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के लिए 6 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।

श्री देवांगन ने सदन में बताया कि आगामी वित्तीय वर्ष में श्रमिकों के लिए संचालित शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना का विस्तार किया जाएगा। इस योजना के तहत श्रमिकों को मात्र 5 रूपए में गरम भोजन, दाल, चावल, सब्जी, अचार प्रदान किया जाता है। वर्तमान में इस योजना के तहत सात जिलों रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर, रायगढ़, महासमुन्द और सूरजपुर में 21 केन्द्र संचालित हो रहे हैं। इन केन्द्रों के माध्यम से प्रतिदिन करीब 3200 श्रमिकों को गरम भोजन मिल रहा है। अगले वित्तीय वर्ष में इस योजना के अंतर्गत 9 जिलों में 24 नये केन्द्र खोले जाएंगे। उन्होंने बताया कि नये बजट में श्रम कानूनों के क्रियान्वयन के लिए 32 करोड़ रूपए और औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए 6 करोड़ रूपए से अधिक का प्रावधान किया गया है। साथ ही कर्मचारी राज्य बीमा सेवाओं के अंतर्गत श्रमिकों के लिए 61 करोड़ रूपए प्रावधानित है।
श्री देवांगन ने बताया कि कर्मचारी राज्य बीमा सेवाओं के अंतर्गत प्रदेश के 10 जिलों में 42 औषधालय संचालित है। श्रमिक बाहुल्य क्षेत्रों  तिल्दा, उरला, लारा और खरसिया में नये औषधालय खोलने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। उन्होंने बताया कि पंजीकृत श्रमिकों को अंतः रोगी तथा विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा रायपुर और कोरबा में 100-100 बिस्तरों का चिकित्सालय बनाया गया है। भिलाई और रायगढ़ में 100-100 बिस्तरों के चिकित्सालय का काम प्रगति पर है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा बिलासपुर में भी 100 बिस्तरों के अस्पताल के निर्माण की मंजूरी दी गई है।
श्रम मंत्री श्री देवांगन ने सदन में बताया कि दूसरे राज्यों मंे प्रवास करने वाले छत्तीसगढ़ के श्रमिकों के सहयोग एवं मार्गदर्शन के लिए वहां ‘‘मोर चिन्हारी भवन‘‘ की स्थापना की जाएगी। इसके पहले चरण में पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, गुजरात और महाराष्ट्र में जहां राज्य के श्रमिक अधिक संख्या में प्रवास करते हैं, मोर चिन्हारी भवन बनाए जाएंगे। इसके माध्यम से प्रवासी श्रमिकों को समय-समय पर सहयोग और मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। उन्होंने सदन में बताया कि पंजीकृत श्रमिक परिवारों के बच्चों को उत्कृष्ट निजी शालाओं में निःशुल्क पढ़ाने के लिए शीघ्र नई योजना प्रारंभ की जाएगी। उन्होंने बताया कि पंजीकृत श्रमिकों के द्वारा आर्थिक गतिविधि के लिए बैंक से लिए गए ऋण पर लगने वाले ब्याज में अनुदान देने की भी योजना जल्दी शुरू की जाएगी। इससे श्रमिक आत्मनिर्भर बन सकेंगे और वे स्वयं मालिक बनने की दिशा में अग्रसर हो सकेंगे।

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