कांसेप्ट ये भी है कि आमतौर पर सालाब के घाट पर कपडे धुलाई के समय पैरों में साबुन, सर्फ लगने से लोगों को परेशानी होती है, ऐसी स्थिति न बने. इसके लिए 3 बड़ी पानी टंकी बनाई जाएंगी। तालाब से बाहर रहकर यहां 3 पानी टंकी का उपयोग कर कपडे धुलाई कर सकेंगे।
बड़े आकार का लगा रहे शेड
नरैया तालाब के आधुनिक स्मार्ट धोबीघाट में 3000 वर्गफीट का शेड लगाया जाएगा, ताकि वहां काम करने वालों को किसी तरह की असुविधा न हो। सामने वाले हिस्से में धोबी समाज के लोगों के लिए निशुल्क पार्किंग की व्यवस्था रहेगी। प्रोजेक्ट पूरा करने की समय अवधि 30 जून रखी गई है।
स्मार्ट सिटी प्रदेश की पहली अत्याधुनिक रजक गुड़ी का निर्माण नरैया तालाब में करवा रहा है। काम पूरा होने के बाद परंपरागत कार्य से जुड़े रजक समाज के लोग इसका संचालन करेंगे। लोगों को सुविधा देने स्मार्ट सिटी इस प्रोजेक्ट पर लगभग 60 लाख खर्च कर रहा है।
-आशीष मिश्रा, जीएम, जनसंपर्क, स्मार्ट सिटी
राजधानी के टिकरापारा स्थित नरैया तालाब में प्रदेश की पहली रजक गुड़ी बनाई जा रही है। इसमें धोबी समाज के लिए 25 लाख की 4 अलग-अलग तरह की स्वचालित मशीनें रायपुर स्मार्ट सिटी द्वारा लगवाई। हरिभूमि सरोकार जाएंगी। इन मशीनों में से 2 मशीनें एक्सपेटर यानी कपड़े निचोड़ने, एक ड्रायर मशीन यानी कपड़े सुखाने के लिए और कपड़े धोने के लिए एक अलग स्वचालित मशीन डायर के रूप में लगाई जाएगी। शहर के अलग-अलग इलाकों में वख धुलाई के काम में लगे धोबी समाज के सदस्यों के लिए हाथ से कपड़े धोने के लिए घाट पर अलग से व्यवस्था रहेगी। शहर के बूढ़ातालाब, आमातालाब, कंकाली तालाब, नरैया तालाब समेत अन्य तालाबों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी कपड़े धुलाई का काम कर रहे लोगों के लिए छत्तीसगढ़ की पहली रजक गुड़ी नरेया तालाब में विकसित की जा रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने आधुनिक स्मार्ट धोबीघाट बनाने रायपुर की पराग झा को ठेका दिया है। 60 लाख के इस प्रोजेक्ट में कपड़ा धोने का पारंपरिक कार्य करने वालों को सुविधा के लिए एफडीआई कंपनी की 4 बड़े आकार की आटोमेटिक मशीन लगाई जाएगी ताकि बारिश के समय इस व्यवसाय से लगे लोगों को कपड़ा धोने, निचोड़ने और सुखाने में किसी तरह की असुविधा न हो। सारा काम स्वचालित मशीन से होगा।