हाईकोर्ट ने आयुष यूनिवर्सिटी की ओर से जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर में शिशु रोग के एमडी की प्रैक्टिकल परीक्षा निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही यूनिवर्सिटी प्रशासन से एक सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया गया है। केस की अगली सुनवाई सात अगस्त को होगी।
डॉ चारू सिंह तोमर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि वह जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग एमडी की स्टूडेंट हैं। आयुष यूनिवर्सिटी के तहत संचालित मेडिकल कॉलेज में चार और पांच जुलाई को प्रैक्टिकल परीक्षा ली गई। प्रभारी रजिस्ट्रार ने 20 जुलाई को अधिसूचना जारी कर पांच जुलाई की परीक्षा को निरस्त कर दिया। बताया गया कि प्रैक्टिकल परीक्षा यूनिवर्सिटी के नियम के विपरीत ली गई है।
याचिका में रजिस्ट्रार के इस आदेश को चुनौती दी गई है। साथ ही कहा है कि सिलेबस की अंतिम लिखित और प्रैक्टिकल परीक्षाएं पूरी होने के बाद एमडी बाल्य चिकित्सा की परीक्षा को रद्द करने की अधिसूचना जारी की गई है। याचिकाकर्ता के एडवोकेट ने तर्क देते हुए बताया कि नियम के अनुसार छह स्टूडेंट ने 4 जुलाई को प्रैक्टिकल परीक्षा में भाग लिया था और इतने ही उम्मीदवार 5 जुलाई को भी शामिल हुए। ऐसे में पांच जुलाई की परीक्षा को निरस्त कर पुनर्मूल्यांकन का आदेश देना अवैधानिक है।
जस्टिस एनके व्यास की कोर्ट में इस केस की सुनवाई हुई, जिस पर अंतरिम राहत देने के आवेदन पर हाईकोर्ट में सुनवाई करते हुए रजिस्ट्रार के परीक्षा निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी गई है। साथ ही रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा गया है।