राज्यसभा में छत्तीसगढ़ की 12 जातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किए जाने के विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद राजनीति तेज हो गई है। बीजेपी अध्यक्ष अरुण साव जहां इसे बीजेपी के प्रयासों का नतीजा बता रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहना है कि इस मामले में बीजेपी क्रेडिट लेने की कोशिश कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साल 2017 में रमन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था। फिर उन्होंने अनुसूचित जनजाति आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष नंदकुमार साय को पत्र लिखा, ये चलता रहा, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ।
सीएम ने अपने प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि उसके बाद जो हम लोगों ने प्रयास किया वो 2021 का लेटर है, जो प्रधानमंत्री को लिखा गया और लगातार हम लोग प्रयास करते रहे, तब जाकर यह सफलता हासिल हुई है। डबल इंजन की सरकार थी, तब या तो रमन सिंह की चलती नहीं थी या सही ढंग से उसको प्रोसेस नहीं किया गया।
केंद्रीय मंत्री और साव में कौन सही
वहीं केंद्रीय मंत्री के ट्वीट को लेकर कहा कि मंत्री ने जो ट्वीट किया है उसमें लिखा है कि इसका लाभ 72000 लोगों को मिलेगा। दूसरी तरफ अरुण साव कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में 10 लाख आदिवासियों को इसका लाभ मिलेगा, दोनों में कौन सही है।
बीजेपी के गोबर घोटाले के आरोपों पर कहा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी केन्द्रीय मद का पैसा कैसे कह सकती है, क्योंकि जितना छत्तीसगढ़ सरकार की रॉयल्टी और जीएसटी जाती है। उसमें हम देते बहुत ज्यादा हैं, लेकिन आता उससे कम है और जो राज्य कम देते हैं, उनको ज्यादा मिलता है।
ईडी-आईटी गली मोहल्ले में घूम रही
सीएम ने कहा कि 250 करोड़ का गोबर खरीदे हैं और 300 करोड़ का वर्मी कंपोस्ट बेच चुके हैं तो यह घोटाला कहां से हो गया। उन्होंने कहा कि भाजपा को हर एक चीज में सीबीआई की जांच चाहिए। जब से हमारी सरकार बनी है, तब से अब तक जितने छापे छत्तीसगढ़ में पड़े हैं, उतने देश के किसी भी राज्य में नहीं पड़े। ईडी-आईटी गली मोहल्ले में घूम रही है। अब गौठान भी घूम रहे हैं, पहले बयान देते हैं। उसके बाद छापा पड़ता है तो यह तो ईडी के प्रवक्ता हैं। भाजपा के दो मजबूत साथी हैं ईडी और आईटी। अब वे अलग-अलग गौठान घूम रहे हैं।