ऑनलाइन ठगी करने वाले लोगों को फंसाने और खाते में सेंध लगाने के लिए तरीका बदल रहे हैं। अब ठगाें ने बेहद एडवांस तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग कर खाताें में सेंध लगाना शुरू कर दिया है। एआई की डीपफेक तकनीक से ठग जिसे टारगेट करते हैं उसके करीबी रिश्तेदार या परिचित की आवाज का सैंपल चुराकर हुबहू उसी आवाज में टारगेट को काॅल कर इमरजेंसी बताकर मांगते हैं या मोबाइल में ओटीपी भेजकर नंबर मांगते हैं।
ओटीपी नंबर देते ही ठग खातों में सेंध लगाते हैं। छत्तीसगढ़ में पहला केस जांजगीर-चांपा में आया है। यहां के पामगढ़ के शिक्षक गजेंद्र सिंह चौहान को साथी शिक्षक साहू के आवाज से ठगों ने फोन किया और इमरजेंसी बताकर खाते में 35 हजार रुपए जमा करा लिए। इस तरह की शिकायतें कुछ और जगह से आई है, जिसकी पड़ताल की जा रही है। देश के कई बड़े शहरों में इस तकनीक से ठगी की लगातार वारदातों को देखते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस ने अलर्ट जारी किया है। छत्तीसगढ़ साइबर सेल और पुलिस को इनपुट मिला है कि ठगों ने हैदराबाद के एक कारोबारी को इसी फार्मूले से टारगेट कर उससे 5 लाख की ठगी की। शेष|पेज 9
दिल्ली, मुंबई, छत्तीसगढ़ समेत कुछ शहरों में इस तरह की ठगी की वारदातें हो रही हैं। हैदराबाद पुलिस ने एक ठग को गिरफ्तार किया है। उसी के बाद साइबर सेल ने अलर्ट जारी किया है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने लोगों से अपील की है कि किसी के पास अनजान या नए नंबर से रिश्तेदार व परिचित के नाम से भी कॉल आए तो अलर्ट रहें। अगर वे मदद मांगते हैं तो उनकी पहले बात सुन लें। फिर जिस रिश्तेदार का कॉल आया हो उसके मोबाइल नंबर पर कॉल करें। फोन पर खुद बातें कर क्रॉस चेक करें। यानी अनजान नंबर से परिचित का भी कॉल आने पर तुरंत ही पैसा जमा न करें। छोटी सी सावधानी से साइबर ठगी से बच सकते हैं।
वाइस क्लोनिंग से धोखेबाजी
एक्सपर्ट के अनुसार ठग पहले टारगेटेड व्यक्ति खोजकर उसका नंबर और रिश्तेदार-परिचित की जानकारी निकाली जाती है। सोशल मीडिया और अन्य माध्यम से परिचित की आवाज कॉपी करते हैं। फिर एआई के जरिए ठग स्पीच बनाता है। डीपफेक तकनीक से अपनी स्पीच को परिचित की आवाज में बदल देता है। फिर उसी आवाज से टारगेटेड व्यक्ति को काॅल करते हैं। उन्हें मेडिकल, एक्सीडेंट जैसी इमरजेंसी बताते हैं, या ओटीपी पूछते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार करीब 80 फीसदी लोग आवाज के झांसे में आकर तुरंत खाते में पैसे डाल रहे हैं। जो संबंधित परिचित को काॅल कर कंफर्म कर रहे हैं, वही ठगी से बच रहे हैं।
एआई और डीपफेक से फ्रॉड को इस तरह समझें
साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक तरह से बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता है। इस तकनीक से कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है। इसे मानव मस्तिष्क की तरह ही ऑपरेट किया जाता है। इसमें डीपफेक तकनीक होती है। इसमें किसी की आवाज, फोटो या वीडियो का सैंपल लेकर उसकी क्लोनिंग कर हूबाहू बनाया जाता है। वीडियो कॉल में चेहरा और वाइस कॉल में आवाज इतनी हुबहू रहती है कि फर्क करना मुश्किल होता है।
स्पीच तैयार कर झांसा
डीपफेक में ठग एक स्पीच तैयार कर टारगेट व्यक्ति के परिचित की फोटो से वीडियो बनाता है और फोन करता है। यह असली वीडियो कॉल की रहता होता है। इसमें ठग की जगह परिचित व्यक्ति का चेहरा दिखाई देता है।
लिंक भेजकर भी स्कैम
वाइस क्लोनिंग के साथ लिंक भेजकर ठगी की जा रही है। ठग अनजान नंबर से फोन करते हैं। एआई तकनीक से ऐसी लिंक बनाई जा रही है, जिस पर क्लिक करते ही फोन का डाटा और खाते की जानकारी ठग तक पहुंच जाती है। उसके बाद खाते से पैसा गायब कर देते हैं। फोन की इंटरनेट हिस्ट्री के जरिए आप क्या खरीदने का मन बना रहे हैं या सर्च कर रहे हैं। इस आधार पर ठग फायदा और भारी डिस्काउंट वाले मैसेज भेजे जाते हैं, ताकि आप उनपर क्लिक कर स्कैम का हिस्सा बन सकें।
एक्सपर्ट व्यू – मोहित साहू, साइबर स्पेशलिस्ट क्राॅस चेक करने काॅल कर लें, बच जाएंगे
अनजान नंबर से कॉल आए तो कॉलिंग एप से जानकारी लें।
नंबर दूसरे के नाम पर है या अनजान हो तो कॉल न उठाएं।
उस नंबर से 2-3 बार कॉल आए तो एक बार बात कर लेें।
अगर रिश्तेदार व परिचित के नाम से कॉल हैं तो बात करें।
जो परिचित मदद मांग रहा है, उसके नंबर पर सीधे काॅल करें।
अनजान नंबर से कोई लिंक आए तो उस पर क्लिक ना करें।
अनजान फोन-वीडियो कॉल पर रहें सतर्क
“एआई तकनीक से देश में ठगी की घटनाएं हुई है। यह हाईटेक सिस्टम है। इसलिए लोगों से अपील है कि अनजान नंबर से फोन या वीडियो कॉल आने पर अलर्ट रहें। अगर कोई इमरजेंसी बताकर पैसा मांग रहा है तो पहले क्रॉस चेक करने के लिए कॉल जरूर कर लें।”
-प्रदीप गुप्ता, एडीजी, तकनीकी सेवाएं