छत्तीसगढ़ में बुधवार को फिर सरकार ने चिटफंड निवेशकों को राशि लौटाई है। CM बघेल ने निवेशकों के लिए न्याय कार्यक्रम के तहत 4 करोड़ 13 लाख 88 हजार रुपए लौटाए हैं। यह राशि 35 हजार 378 चिटफंड पीड़ितों के बैंक खाते में ट्रांसफर की गई।
इस कार्यक्रम के तहत रायपुर जिले के निवेशकों को कलेक्ट्रेट में बुलाया गया। जो मुख्यमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जुड़े। कार्यक्रम में आरंग के पास निसदा गांव के रहने वाले राजाराम ने बताया कि वे 6 साल पहले एक कंपनी में पत्थर तोड़ने का काम करते थे। अपनी मजदूरी से थोड़े-थोड़े पैसे बचाकर उन्होंने चिटफंड कंपनी धनवर्षा में रकम डाली थी।
एजेंट ने राजाराम से कहा था कि, 5 साल में मूलधन की रकम करीब ढाई गुना हो जाएगी। इसके अलावा एजेंट ने उससे जुड़ी कई और स्कीमें भी बताई थी। जिसके बाद राजाराम ने 14 हजार रुपये जमा कर दिए। लेकिन उसका पैसा डूब गया। राजाराम का यह भी कहना है कि, पैसे वापस तो मिल रहे हैं लेकिन डूबी हुई रकम का सिर्फ 25 फीसदी ही एक बार में मिला है।
इस सरकारी कार्यक्रम में पैसे मिलने की आस में आए किसान मोहित राम साहू ने बताया कि उनके पिता श्याम साहू ने भी करीब साढ़े 3 लाख रु चिटफंड में निवेश किए थे। कंपनी ने उन्हें वादा किया गया था कि 5 साल में रकम दोगुनी हो जाएगी। लेकिन उनके पैसे भी कंपनी लेकर फरार हो गई। उन्होंने कहा कि, सरकार ने चिटफंड का पैसा वापस करने का वादा किया था, लेकिन यहां भी मूलधन का केवल कुछ प्रतिशत ही वापस मिल रहा है। जिससे थोड़ी निराशा हुई है।
दरअसल करीब 12 साल पहले तीन चिटफंड कंपनियों गोल्ड की इन्फ्रा वेंचर, निर्मल इंफ्रा होम कॉर्पोरेशन भोपाल और आरोग्य धनवर्षा डेवलपर्स कंपनी ने बड़े रिटर्न का झांसा देकर करोड़ों रुपए वसूल किए थे। आकर्षक स्कीमों के लालच में छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में रहने वाले किसानों तक ने अपनी जमापूंजी को इन पर निवेश कर दी और डायरेक्टर्स के फ्रॉड का शिकार हो गए।
अब सरकार ने इन कंपनियों के प्रॉपर्टी को बेचकर जो रकम जुटाई है उसे वह वापस कर रही है। लेकिन यहां भी कागज की कमी एक बड़ा रोड़ा बन रहा है। प्रशासन के लिए पीड़ितों का चयन सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। क्योंकि ज्यादातर निवेशकों के पास रिकॉर्ड ही नहीं है।