Home छत्तीसगढ़ हलषष्ठी व्रत की समाचार लगा दो

हलषष्ठी व्रत की समाचार लगा दो

16

 

हमारे छत्तीसगढ़ प्रदेश में अनोको व्रत त्योहार पर्व समय-समय पर मनाया जाता है आज जिला मुंगेली के पवित्र धर्म स्थल महान तपस्वी खेमगिर बाबा की समाधिस्थलि शंकर मंदिर मल्हापारा मुंगेली में सैंकड़ों महिलाएं बारी बारी से पूजा अर्चनाएं किये यहां हर वर्ष मंदिर प्रांगण में राधा कृष्ण की मनोहर झांकी का भी दर्शन होता रहा है इस मंदिर में मुंगेली के अलावा दूर दराज के गांवों से भी महिलाऐं पूजा करने आते हैं मंदिर के पुजारी सामुहिक रुप से पूजा संपन्न कराते हैं इसी क्रम में आज महिलाएं अपने बच्चों के सुख शांति उज्जवल भविष्य दीर्घायु की मंगल कामनाएं को लेकर हलषष्ठी व्रत रखा जाता है इस पर्व की पौराणिक महत्व बहुत ज्यादा है कालांतर में हालात परिस्थितियों के अनुसार थोड़ा बहुत बदलाव जरूर दिख रहा है लेकिन भाव भक्ति श्रद्धा में कोई कमी नहीं है यह पर्व भाद्रपद के कृष्णपक्ष के षष्ठी तिथि को हलछठ,हरछठ या खमरछठ के रूप में मनाया जाता है इस व्रत में हलषष्ठी व्रतकथा सुनने का विधान है इस व्रत में गाय का दूध दही वर्जित है भैंस के दूध दही का उपयोग होता है महुआ का दातुन उपयोग होता है इस व्रत मे हल से जुताई फसल का सेवन नहीं किया जाता,इस दिन प्रात: स्नान करके दिवाल में गोबर से गणेश लक्ष्मी, शिव पार्वती सूर्य चंद्रमा चित्र बनाकर पूजा किया जाता है हलषष्ठी पूजा में पसहर चावल महुआ दही का प्रसाद चढ़ाया जाता है इस पूजा में सात प्रकार के अनाज सात प्रकार के कपड़े हल्दी मिश्रित चढ़ाया जाता है इसी कपड़े से बच्चों के पीठ पर हल्के मारा जाता है आशीर्वाद के रूप मे ,इस व्रत को भगवान बलराम जी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है बलराम जी का अस्त्र हल है इस लिए हलधर के रूप में पूजा जाता है संभवतः इसे से प्रेरित होकर हलषष्ठी व्रत में हल से जुताई यूक्त अन्न का सेवन वर्जित है जो हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हलषष्ठी व्रत और बलराम जयंती मनाया गया

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here