राजनांदगांव में ‘भरोसे का सम्मेलन’ में शामिल होंगे, कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद तीसरा दौरा
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इस समय छत्तीसगढ़ दौरे पर हैं। गुरुवार शाम वे रायपुर एयरपोर्ट पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत हुआ। आज वे राजनांदगांव में होने वाले भूपेश सरकार के ‘भरोसे का सम्मेलन’ में शामिल होंगे। खड़गे सोमनी से लगे ग्राम ठेकवा में करीब 12 बजे सभा को संबोधित करेंगे।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद खड़गे का यह तीसरा दौरा है। इससे पहले मल्लिकार्जुन खड़गे की सभा जांजगीर जिले में आयोजित की गई थी। यहां भी वे भरोसे का सम्मेलन में शामिल हुए थे। इसके बाद अब वे रमन सिंह के विधायकी क्षेत्र में पहुंच रहे हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पार्टी के तमाम दिग्गज नेता यहां एक साथ दिखाई देंगे। रमन के गढ़ में कांग्रेस का चुनाव से पहले यह शक्ति प्रदर्शन भी होगा।
राजनांदगांव की क्या है सियासी पृष्ठभूमि
छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव जिला प्रदेश की संस्कारधानी के नाम से जाना जाता है। यहां जिले में कुल 4 विधानसभा सीटें हैं। राजनांदगांव प्रदेश की हॉट सीटों में से एक है क्योंकि ये सीट छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह की विधायकी वाली है।
साल 2008 से लेकर अब तक पूर्व मुख्यमंत्री ही इस सीट से जीतते आए हैं। रमन सिंह को उनके तीन कार्यकाल यानी 2008, 2013 और 2018 के चुनाव में राजनांदगाव से ही जीत हासिल हुई है। जबकि उनके बेटे अभिषेक सिंह यहां से लोकसभा सांसद रह चुके हैं।
राजनांदगांव में खड़गे की सभा के सियासी मायने
जिले में कुल 4 विधानसभा सीटें हैं, राजनांदगांव, डोंगरगढ़, डोंगरगांव और खुज्जी विधानसभा। इन चारों सीटों में केवल 1 राजनांदगांव की सीट ही बीजेपी के पास है बाकी 3 सीटों में कांग्रेस के विधायक काबिज हैं।
इनमें डोंगरगढ़ की सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी का सबसे बड़ा दलित चेहरा हैं। इसलिए डोंगरगढ़ विधानसभा के मतदाताओं में इसका असर होगा। डोंगरगढ़ में इस समय भुवनेश्वर बघेल विधायक हैं, जो कांग्रेस पार्टी से ही है। डोंगरगांव से दलेश्वर साहू और खुज्जी से विधायक छन्नी साहू है।
पिछले चुनाव में यहां रमन सिंह के सामने अटल बिहारी बाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला थीं। जिन्होंने रमन सिंह को कड़ी टक्कर दी थी। पूर्व मुख्यमंत्री महज 17 हजार वोटों से ही जीत पाए थे। ऐसे में इस बार रमन के गढ़ में सेंध लगाने की पूरी कोशिश कांग्रेस करेगी।