उत्तरप्रदेश के इटावा में हुए दस लाख की लूट के मामले में आरोपियों की पड़ताल में अम्बिकापुर शहर पहुंची यूपी पुलिस के द्वारा बगैर स्थानीय पुलिस को सूचना दिए सिविल ड्रेस में शहर के बिलासपुर चौक के समीप कुछ लोगों से पूछताछ करने के दौरान आईडी दिखाए जाने की बात पर बवाल मच गया. धक्का-मुक्की मारपीट में बदल गई और बिलासपुर चौक में मुर्गा दुकान का संचालन करने वाले विनय साहू और उसके पुत्र महेश साहू के साथ भी मारपीट की गई. अम्बिकापुर पुलिस अधीक्षक (SP) सुनील शर्मा स्वयं मौके पर पहुंचे और मणीपुर थाने में दोनों पक्षों से बातचीत करते हुए घटना की जानकारी ली. थाने में भी गहमा-गहमी की स्थिति बनी रही.
पूछताछ करने पहुंची थी पुलिस
जानकारी के मुताबिक यूपी के इटावा में हुए दस लाख की लूट के मामले में पुलिस के द्वारा एक संदिग्ध मोटरसाइकिल का नंबर मिलने पर उक्त नंबर के आधार पर संदिग्धों की धरपकड़ के लिए पांच सदस्यीय टीम बना स्कार्पियों से अम्बिकापुर भेजा गया था. बताया जा रहा है कि इटावा पुलिस की यह टीम दो दिनों पूर्व ही अम्बिकापुर पहुंच गई थी और बिलासपुर चौक के समीप संदिग्धों की पड़ताल के लिए लोगों से पूछताछ भी कर रही थी. चौक में बिजली दुकान के संचालक अशोक अग्रवाल के दुकान में सिविल ड्रेस में पहुंची पुलिस कर्मियों के द्वारा खुद को क्राइम ब्रांच की टीम बता सीसीटीव्ही दिखाने कहा गया. जिससे व्यवसायी ने एक व्यक्ति को भीतर आने की अनुमति दी.
बताया जा रहा है कि एक पुलिस कर्मी के बजाय सभी भीतर जाने लगे, तो व्यवसायी ने विरोध जताया और कथित रूप से इटावा पुलिस के द्वारा व्यवसायी के साथ बहसबाजी शुरू कर दी गई. आवाज सुन समीप में मुर्गा दुकान का संचालन करने वाले पिता-पुत्र भी पहुंच गए और उनके बीच मारपीट शुरू हो गई. सूचना पर मणीपुर पुलिस पहुंची और दोनों पक्षों को थाने ले गई. पुलिस अधीक्षक सुनील शर्मा भी पहुंचे और दोनों पक्षों को देर शाम तक समझाईश जारी रही, देर रात पुलिस अधीक्षक व जनप्रतिनिधियों के समझाईश के बाद मामला शांत हुआ.
गलत-फहमी की वजह से हुआ हंगामा
सरगुजा पुलिस अधीक्षक सुनील शर्मा ने कहा कि इटावा पुलिस की सादी वर्दी में होने और गलतफहमी की वजह से हंगामें की स्थिति बनी. उन्होंने कहा कि सूचना के बाद वे स्वयं मौके पर पहुंच गए. स्थानीय पार्षद, जनप्रतिनिधियों के साथ दोनों पक्ष को बैठाकर चर्चा कर गलत-फहमी दूर कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर त्वरित सूचनाओं पर कभी-कभी बगैर स्थानीय पुलिस को सूचना दिए रेड होती है और इसके प्रावधान भी है.