निर्वाचन आयोग ने बुधवार शाम छत्तीसगढ़ के 2 कलेक्टर, 3 पुलिस अधीक्षकों और मंत्रालय के विशेष सचिव मनोज सोनी को उनके पद से हटा दिया है। मनोज सोनी खाद्य विभाग में पदस्थ थे। इनके अलावा हटाए जाने वाले अफसरों में बिलासपुर कलेक्टर संजीव झा और रायगढ़ कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा शामिल हैं।
अफसरों पर प्रचार में शामिल होने का आरोप
आयोग की ओर से इन अफसरों को तत्काल प्रभाव से अपने पद छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना बाबा साहब कंगाले ने इसकी पुष्टि की है। पद से हटाए गए अफसरों पर प्रचार में शामिल होने और निर्वाचन कार्य में कोताही बरतने का आरोप है।
चुनाव आयोग का पत्र प्रदेश के मुख्य सचिव अमिताभ जैन को भेजा गया है। जैन से कहा गया है कि इन अफसरों से चार्ज लेकर तत्काल नए अधिकारियों को तैनात करें। साथ ही अफसरों का पैनल भी मांगा गया ताकि नए अफसरों वहां पदस्थ किया जा सके। आयोग को छत्तीसगढ़ से ऐसे इनपुट मिले थे कि ये अधिकारी चुनाव नियमों के खिलाफ काम कर रहे हैं।
8 माह पहले ही रायगढ़ कलेक्टर बने थे सिन्हा
आईएएस अफसर तारन प्रकाश सिन्हा को करीब 8 माह पहले ही रायगढ़ का कलेक्टर बनाया गया था। पेंड्रा निवासी तारन प्रकाश सिन्हा इससे पहले जांजगीर-चांपा और राजनांदगांव जिले के कलेक्टर रह चुके थे। वे आयुक्त, जनसंपर्क व सीईओ जिला पंचायत जांजगीर-चांपा के पद पर भी रहे हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने पहले ही दिए थे संकेत
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने छत्तीसगढ़ दौरे के वक्त ही संकेत दे दिए थे कि विधानसभा चुनाव में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बताते हैं कि तब ही उन्हें कुछ अफसरों के बारे में उन्हें जानकारी दी गई थी। अब अफसरों से मिले इनपुट के बाद उनको हटा दिया गया। कुमार ने सीईओ रीना बाबा साहब कंगाले से राज्य की 90 विधानसभा सीटों की अलग -अलग जानकारी ली थी।
जहां कार्रवाई, वे हाई प्रोफाइल सीट
जिन जिलों में कार्रवाई की गई है वे हाई प्रोफाइल सीटों वाली हैं। कोरबा में राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल हैं। बिलासपुर में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल भाजपा उम्मीदवार हैं। राजनांदगांव में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। दुर्ग जिले में खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पाटन व अरूण वोरा की दुर्ग विधानसभा आती है।
राजनीतिक दृष्टिकोण से रायगढ़ भी महत्वपूर्ण जिला है। भाजपा नेता व पूर्व मंत्री और विधायक बृजमोहन अग्रवाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने तब सीईसी कुमार से मिलकर चुनाव में दागी अफसरों की ड्यूटी न लगाने की मांग की थी। उन्होंने कुमार को बताया कि प्रदेश में प्रथम श्रेणी के कई अधिकारी जांच में फंसे या उनके खिलाफ मामले चल रहे हैं।